Santosh Kumar | July 3, 2024 | 07:07 PM IST | 2 mins read
मंत्रालय द्वारा जारी प्रेस नोट में कहा गया है कि कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में लड़कियों को आईसीटी लैब और स्मार्ट क्लासरूम उपलब्ध कराना महत्वपूर्ण है क्योंकि केजीबीवी की छात्राएं वंचित पृष्ठभूमि से आती हैं।
नई दिल्ली: भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने सभी क्रियाशील कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों और छात्रावासों में आईसीटी लैब और स्मार्ट क्लासरूम उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। इस पहल से लगभग 7 लाख लड़कियों को लाभ मिलेगा, उनकी शिक्षा में सुधार होगा और उनका डिजिटल ज्ञान बढ़ेगा। यह पहल डिजिटल डिवाइड को कम करने में मदद करेगी और छात्रों के सीखने के प्रदर्शन को बेहतर बनाने में मददगार साबित होगी।
केजीबीवी वंचित समूहों जैसे कि एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यकों और गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) की लड़कियों के लिए कक्षा VI से XII तक के आवासीय विद्यालय हैं। केजीबीवी शैक्षिक रूप से पिछड़े ब्लॉकों में स्थापित किए गए हैं, जिसका उद्देश्य इन लड़कियों तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना और स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर लिंग अंतर को कम करना है। वर्तमान में, देश के 30 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 5116 केजीबीवी काम कर रहे हैं।
मंत्रालय द्वारा जारी प्रेस नोट में कहा गया है कि केजीबीवी में लड़कियों को आईसीटी लैब और स्मार्ट क्लासरूम उपलब्ध कराना महत्वपूर्ण है क्योंकि केजीबीवी की छात्राएं वंचित पृष्ठभूमि से आती हैं। शिक्षा तक पहुंचने में उन्हें दूरी, सांस्कृतिक मानदंड और सुरक्षा चिंताओं सहित विभिन्न बाधाओं का सामना करना पड़ता है। उनके व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास के लिए डिजिटल साक्षरता महत्वपूर्ण है।
इसमें आगे कहा गया है कि आज की आधुनिक दुनिया में आईसीटी का विकास और एकीकरण हमारे जीवन और आजीविका के लिए बहुत जरूरी है। इसलिए सभी क्षेत्रों के छात्रों को आधुनिक तकनीक से अवगत कराने के प्रयास किए जा रहे हैं। खास तौर पर वंचित समूहों के छात्रों को प्रदर्शन करने का बेहतरीन अनुभव मिलना बहुत जरूरी है। इसके लिए आईसीटी को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है।
आईसीटी सुविधाओं के प्रावधान से यह सुनिश्चित होगा कि केजीबीवी के छात्रों को स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के डिजिटल प्लेटफॉर्म और संसाधनों तक बेहतर पहुंच मिले। इसमें स्वयं, स्वयं प्रभा, राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी, ई-पाठशाला, ओपन एजुकेशनल रिसोर्स जैसे संसाधन शामिल होंगे। इस सुधार से उनके सीखने के परिणामों में सुधार होगा।