Santosh Kumar | June 21, 2025 | 06:27 PM IST | 1 min read
डीयू की ओर से की गई आधिकारिक पोस्ट में लिखा गया है कि हम आपकी चिंताओं को समझते हैं और उन्हें सुधारने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) की प्रवेश प्रक्रिया के आवेदन पत्र के भाषा कॉलम में मुस्लिम, बिहारी, मजदूर और अन्य शब्दों के इस्तेमाल पर उठे विवाद के बाद इसे सही कर लिया गया है। दिल्ली विश्वविद्यालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर इस पर खेद जताया है। छात्रों के विरोध के बाद डीयू प्रशासन ने सफाई देते हुए लिखा कि दिल्ली विश्वविद्यालय अपने प्रवेश फॉर्म में अनजाने में हुई गलती के लिए माफी मांगता है।
दिल्ली विश्वविद्यालय की ओर से की गई आधिकारिक पोस्ट में आगे लिखा गया है कि हम आपकी चिंताओं को समझते हैं और उन्हें सुधारने के लिए प्रतिबद्ध हैं। लेकिन इस गलती को दुर्भावना से जोड़ना सही नहीं है।
डीयू ने आगे लिखा, "हम सभी से विश्वविद्यालय के सौहार्दपूर्ण माहौल को खराब न करने की अपील करते हैं। मालूम हो कि डीयू आवेदन पत्र में गलती के बाद डीयू शिक्षकों और छात्र संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया था।"
ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) ने गलती का विरोध करते हुए कहा कि यह महज तकनीकी गलती नहीं बल्कि पक्षपातपूर्ण सोच का नतीजा है। डीयू की माफी और सुधार के बाद आइसा ने इसे संवैधानिक मूल्यों की जीत बताया।
डीयू सीएसएएस यूजी फॉर्म में मातृभाषा के विकल्प में 'मुस्लिम' लिखा था, जबकि उर्दू को शामिल नहीं किया गया था। डीटीएफ महासचिव आभा देव हबीब ने सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को उठाया और विश्वविद्यालय को 'इस्लामोफोबिक' बताया।
डीयू ने बाद में कहा कि गलती को सुधार लिया गया है और इसे एक चूक बताया। आलोचना के बाद स्पष्टीकरण आया। बता दें कि डीयू यूजी एडमिशन 2025 के लिए सीएसएएस पोर्टल पर 71,000 से अधिक सीटों के लिए आवेदन खुले हैं।