गृह मंत्रालय ने कहा है कि नागपुर (महाराष्ट्र) और खोरधा (ओडिशा) परिसरों को भी अब एनएफएसयू के आधिकारिक परिसर माना जाएगा।
Santosh Kumar | March 20, 2025 | 01:29 PM IST
नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ में फोरेंसिक शिक्षा को लेकर राज्य के सीएम विष्णुदेव साय ने बड़ी खबर दी है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने रायपुर को राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (एनएफएसयू) के आधिकारिक परिसर के रूप में मान्यता दे दी है। इससे राज्य में फोरेंसिक विज्ञान, जांच और अनुसंधान के लिए नए अवसर खुलेंगे। सीएम ने इस पहल के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का आभार जताया।
गृह मंत्रालय ने अधिसूचित किया है कि नागपुर (महाराष्ट्र) और खोरधा (ओडिशा) में स्थापित परिसरों को भी अब आधिकारिक राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय (एनएफएसयू) परिसर माना जाएगा।
जुलाई 2024 में आईपीसी, सीआरपीसी और 1872 का भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह अब भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) लागू किए गए हैं।
बीएनएसएस के तहत 7 साल या उससे अधिक की सजा वाले अपराधों में फोरेंसिक जांच अनिवार्य कर दी गई है। जिन राज्यों में फोरेंसिक सुविधाएं नहीं हैं, वे दूसरे राज्यों से मदद ले सकते हैं ताकि फोरेंसिक विशेषज्ञों द्वारा अपराध स्थलों की जांच की जा सके।
गृह मंत्रालय (महिला सुरक्षा प्रभाग) द्वारा 18 मार्च, 2025 को प्रकाशित राजपत्र के अनुसार, इन एनएफएसयू परिसरों को शामिल करना एनएफएसयू अधिनियम, 2020 की धारा 4 की उपधारा (4) के तहत किया गया है।
अधिसूचना में कहा गया है कि राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय अधिनियम, 2020 के तहत केंद्र सरकार ने नागपुर (महाराष्ट्र), रायपुर (छत्तीसगढ़) और खोरधा (ओडिशा) परिसरों को एनएफएसयू के परिसरों के रूप में मान्यता दी है।
पिछले साल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की थी कि एक साल में देशभर में 9 नए एनएफएसयू कैंपस खोले जाएंगे। उन्होंने फोरेंसिक विज्ञान, प्रौद्योगिकी और आपराधिक न्याय प्रणाली को एकीकृत करने पर जोर दिया।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इसे छत्तीसगढ़ में फोरेंसिक शिक्षा के क्षेत्र में एक नई ऊंचाई बताया। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से इस निर्णय से हमारा राज्य फोरेंसिक विज्ञान, इससे संबंधित जांच और अनुसंधान के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करेगा।