केंद्र ने प्राथमिक स्कूलों के साथ या समीप आंगनवाड़ी केंद्रों को रखे जाने के लिए जारी किए दिशानिर्देश

Santosh Kumar | September 3, 2025 | 10:54 PM IST | 1 min read

स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता मंत्रालय के सचिव संजय कुमार ने 3-6 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए अपार आईडी बनाने का प्रस्ताव रखा।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और महिला एवं बाल विकास (डब्ल्यूसीडी) मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने संयुक्त रूप से इन दिशानिर्देशों को जारी किया। (इमेज-एक्स/@MinistryWCD)
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और महिला एवं बाल विकास (डब्ल्यूसीडी) मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने संयुक्त रूप से इन दिशानिर्देशों को जारी किया। (इमेज-एक्स/@MinistryWCD)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने आंगनवाड़ी केंद्रों (एडब्ल्यूसी) के प्राथमिक स्कूलों के साथ या समीप रखने के लिए दिशानिर्देश जारी किए जिसमें शिक्षकों और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के संयुक्त योजना, पाठ्यक्रम तालमेल, अभिभावक सहभागिता और बाल-मित्र शिक्षण स्थान बनाने का प्रावधान है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और महिला एवं बाल विकास (डब्ल्यूसीडी) मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने संयुक्त रूप से इन दिशानिर्देशों को जारी किया।

अधिकारियों ने बताया कि देश में लगभग 14 लाख आंगनवाड़ी केन्द्रों में से लगभग 2.9 लाख केन्द्र पहले से ही स्कूल परिसरों में स्थित हैं, लेकिन समन्वय सुनिश्चित करने के लिए कोई मानकीकृत तंत्र नहीं है।

बच्चों के लिए कई सुविधाओं का प्रावधान

इस ढांचे में दो मॉडल निर्दिष्ट किए गए हैं। इसमें छोटे बच्चों के लिए अलग प्रवेश और निकास मार्ग, मध्याह्न भोजन के लिए रसोई, भीतर और मैदान में खेल के लिए उपयुक्त क्षेत्र और बाल-मित्र शौचालय जैसी सुविधाओं का प्रावधान किया गया है।

आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और शिक्षकों के लिए मासिक बैठकें, अभिभावक-शिक्षक बैठकें और संयुक्त गतिविधि कैलेंडर अनिवार्य किए गए हैं। प्री-स्कूल पाठ्यक्रम को एनसीएफ-एफएस 2022 के अनुसार खेल-आधारित ‘जादुई पिटारा’ और ‘आधारशिला’ तरीकों से जोड़ने की सिफारिश की गई है।

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राज्यों से कहा गया है कि वे उन आंगनवाड़ी केंद्रों का सह-स्थानीयकरण करें जिनके पास भवन नहीं हैं या जो कमज़ोर वर्गों, आदिवासियों और प्रवासियों के बच्चों की देखभाल करते हैं। अधिकारी ने कहा कि बच्चों का कक्षा 1 में समय पर प्रवेश जरूरी है।

उन्होंने कहा कि एनईपी के अनुसार, बच्चों को उनकी मातृभाषा में पढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। अधिकारी ने कहा कि नई व्यवस्था से स्कूल छोड़ने वाले छात्रों की संख्या में कमी आएगी और सीखने के परिणामों को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।

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