Press Trust of India | December 16, 2025 | 07:49 AM IST | 1 min read
वीबीएसए विधेयक मौजूदा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) और शिक्षक शिक्षा के लिए राष्ट्रीय परिषद (एनसीटीई) का स्थान लेगा।

नई दिल्ली: केंद्रीय विश्वविद्यालय के शिक्षकों और संघों के एक समूह ने उच्च शिक्षण संस्थानों को विनियमित करने के उद्देश्य से 15 दिसंबर को संसद में पेश किए गए एक नए विधेयक का विरोध किया। उन्होंने चेतावनी दी कि प्रस्तावित कानून विश्वविद्यालय की स्वायत्तता, सार्वजनिक वित्त पोषण और शिक्षकों की सेवा शर्तों के लिए खतरा है।
‘विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान’ (VBSA) विधेयक 15 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया गया। इस विधेयक में भारत में विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों के विनियमन, मान्यता और शैक्षणिक मानकों को सुनिश्चित करने के लिए तीन परिषदों के साथ एकल उच्च शिक्षा आयोग की स्थापना का प्रावधान है।
यह मौजूदा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) और शिक्षक शिक्षा के लिए राष्ट्रीय परिषद (एनसीटीई) का स्थान लेगा। शिक्षकों के एक समूह द्वारा 15 दिसंबर को आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सांसद मनोज झा भी उपस्थित थे।
उन्होंने कहा कि प्रस्तावित वीबीएसए विधेयक के तहत एक अध्यक्ष की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया जाएगा, जो विनियमन, मान्यता और शिक्षण मानकों के निर्धारण की देखरेख करेगा। उन्होंने कहा कि जिन निकायों की जगह यह आयोग ले रहा है, उनके विपरीत नए आयोग के पास वित्त पोषण संबंधी शक्तियां नहीं होंगी, जिसके परिणामस्वरूप सरकार की तरफ से वित्त पोषित उच्च शिक्षा का विघटन होगा।
बोर्ड ने अनुपस्थित उम्मीदवारों के लिए डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन की आखिरी तारीख 17 दिसंबर तक बढ़ा दी है। इसके अलावा, बोर्ड ने अपनी ऑफिशियल वेबसाइट rssb.rajasthan.gov.in पर अनुपस्थित उम्मीदवारों की लिस्ट भी जारी की है।
Santosh Kumar