Uttarakhand News: राज्य आंदोलनकारियों के लिए क्षैतिज आरक्षण के खिलाफ अदालत में याचिका दायर
Press Trust of India | September 20, 2024 | 11:47 AM IST | 2 mins read
मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी और न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान इस अधिनियम पर रोक लगाने से मना कर दिया।
नई दिल्ली: उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य आंदोलनकारियों को दिए गए 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका पर बृहस्पतिवार (19 सितंबर) को सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार को इस संबंध में छह सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए।
अदालत ने सरकार से वे आंकड़ें भी प्रस्तुत करने को कहा है, जिनके आधार पर आरक्षण देने का फैसला किया गया है। न्यायालय ने याचिकाकर्ता से ताजा आदेश की एक प्रति राज्य लोक सेवा आयोग को भी भेजने को कहा, जिससे इस मामले में अग्रिम कार्यवाही रोकी जा सके।
मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी और न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान फिलहाल इस अधिनियम पर रोक लगाने से मना कर दिया। यह जनहित याचिका उच्च न्यायालय में देहरादून निवासी भुवन सिंह तथा अन्य द्वारा दायर की गई है, जिसमें नए अधिनियम को असंवैधानिक बताते हुए उसे खारिज करने का अनुरोध किया गया है।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि पहले इस मामले में एक महत्वपूर्ण आदेश देते हुए उच्च न्यायालय ने कहा था कि राज्य सरकार राज्य आंदोलनकारियों को आरक्षण नहीं दे सकती क्योंकि राज्य के सभी नागरिक आंदोलनकारी हैं।
याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि राज्य सरकार ने उच्चतम न्यायालय में इस आदेश को चुनौती नहीं दी थी और अब 18 अगस्त 2024 को राज्य आंदोलनकारियों को आरक्षण देने के लिए कानून पारित कर दिया। याचिकाकर्ता ने कहा कि यह कानून उच्च न्यायालय के पूर्व में दिए आदेश के खिलाफ है।
महाधिवक्ता ने इसका विरोध करते हुए कहा कि राज्य को इस संबंध में कानून बनाने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने हाल में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए नई आरक्षण नीति बनाने के निर्देश दिए हैं और इसी के मद्देनजर राज्य सरकार ने आरक्षण के संबंध में कानून बनाया है ।
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