UP Government School Merger: उत्तर प्रदेश में स्कूलों को जोड़ने की नीति के खिलाफ एनएसयूआई ने किया प्रदर्शन

एनएसयूआई के मध्य क्षेत्र के अध्यक्ष अनस रहमान और पूर्वी क्षेत्र के अध्यक्ष ऋषभ पांडे के नेतृत्व में बड़ी संख्या में छात्रों ने कांग्रेस कार्यालय से विधानसभा की ओर मार्च किया।

उत्तर प्रदेश सरकार के 50 से कम छात्रों वाले प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों को पास के संस्थानों के साथ जोड़ने का फैसला लिया है। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)
उत्तर प्रदेश सरकार के 50 से कम छात्रों वाले प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों को पास के संस्थानों के साथ जोड़ने का फैसला लिया है। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)

Abhay Pratap Singh | July 2, 2025 | 11:29 AM IST

नई दिल्ली: कांग्रेस की छात्र इकाई नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) ने उत्तर प्रदेश सरकार के 50 से कम छात्रों वाले प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों को पास के संस्थानों के साथ जोड़े जाने के हालिया फैसले के खिलाफ मंगलवार को प्रदर्शन किया। एनएसयूआई का दावा है कि इस कदम से 27 हजार से अधिक स्कूल बंद हो जाएंगे।

एनएसयूआई के मध्य क्षेत्र के अध्यक्ष अनस रहमान और पूर्वी क्षेत्र के अध्यक्ष ऋषभ पांडे के नेतृत्व में बड़ी संख्या में छात्रों ने कांग्रेस कार्यालय से विधानसभा की ओर मार्च किया। जब पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो प्रदर्शनकारियों की उनसे झड़प हुई।

अनस रहमान ने संवाददाताओं से कहा, “सरकार का लक्ष्य सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है। इसे बनाए रखने के बजाय, भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार असहमति को दबाने के लिए ग्रामीण छात्रों को शिक्षा से वंचित करना चाहती है।”

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उन्होंने कहा कि अगर स्कूलों के समायोजन का निर्णय वापस नहीं लिया गया तो एनएसयूआई अगले 25 दिनों में बड़ा विरोध प्रदर्शन करेगी, जिसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष वरुण चौधरी भी शामिल होंगे। पूर्वी क्षेत्र के अध्यक्ष ऋषभ पांडे ने योगी आदित्यनाथ सरकार पर निजी स्कूलों का पक्ष लेने का आरोप लगाया।

एनएसआईयू के ईस्टर्न जोने के अध्यक्ष ऋषभ पांडे ने कहा, “निजी स्कूल तीन से चार साल की उम्र में बच्चों को दाखिला देते हैं, जबकि सरकारी स्कूल छह साल की उम्र में दाखिला देते हैं। एक बार जब बच्चा निजी स्कूल में दाखिल हो जाता है, तो वह वापस नहीं लौटता।”

उन्होंने यह भी दावा किया कि सरकारी स्कूलों के एक किलोमीटर के दायरे में निजी स्कूलों को मान्यता देकर शिक्षा के अधिकार अधिनियम का का उल्लंघन किया जा रहा है, जिससे सार्वजनिक शिक्षा को नुकसान पहुंच रहा है। बता दें, हाल ही में यूपी सरकार ने 50 से कम छात्रों वाले प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों को मर्ज करने का फैसला किया है।

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