Bihar Sports University: बिहार के पहले खेल यूनिवर्सिटी को यूजीसी ने दी मान्यता; पीजीपी और बीपीएड कोर्स शामिल

सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी शिशिर सिन्हा को हाल ही में राज्य सरकार ने बिहार खेल विश्वविद्यालय का पहला कुलपति नियुक्त किया है।

विश्वविद्यालय शारीरिक शिक्षा विषय में यूजी, डिप्लोमा, पीजी डिप्लोमा पाठ्यक्रम सहित शैक्षणिक पाठ्यक्रम शुरू करेगा। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)
विश्वविद्यालय शारीरिक शिक्षा विषय में यूजी, डिप्लोमा, पीजी डिप्लोमा पाठ्यक्रम सहित शैक्षणिक पाठ्यक्रम शुरू करेगा। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)

Press Trust of India | January 11, 2025 | 05:48 PM IST

नई दिल्ली: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने नालंदा जिले के राजगीर में स्थित बिहार के पहले खेल विश्वविद्यालय को मान्यता दे दी है। मान्यता मिलने से अब यह विश्वविद्यालय यूजीसी अधिनियम, 1956 की धारा 2 (एफ) के तहत यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त प्रतिष्ठित संस्थानों की सूची में शामिल हो गया है।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले साल 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस पर राज्य की पहली खेल अकादमी और बिहार खेल विश्वविद्यालय का उद्घाटन किया था, जो राजगीर में अंतरराष्ट्रीय खेल परिसर का हिस्सा होगा।

विश्वविद्यालय द्वारा शनिवार को जारी एक बयान के अनुसार, ‘‘बिहार खेल विश्वविद्यालय, राजगीर को यूजीसी अधिनियम, 1956 की धारा 2 (एफ) के तहत यूजीसी से मान्यता मिल गई है। अब विश्वविद्यालय को शैक्षणिक पाठ्यक्रम शुरू करने का अधिकार है, जिसमें शारीरिक शिक्षा और खेल विज्ञान में स्नातक और अन्य डिप्लोमा/पीजी डिप्लोमा पाठ्यक्रम शामिल होंगे।’’

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बयान में कहा गया है कि विश्वविद्यालय की मंशा अगले शैक्षणिक सत्र 2025-2026 से कई शैक्षणिक कार्यक्रम शुरू करने की है। सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी शिशिर सिन्हा को हाल ही में राज्य सरकार ने बिहार खेल विश्वविद्यालय का पहला कुलपति नियुक्त किया है।

बयान में आगे कहा गया है, ‘‘इन कार्यक्रमों में शामिल हैं - दो या तीन खेलों में खेल कोचिंग में डिप्लोमा/पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा (पीजीडी), योग में डिप्लोमा/पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा, चार वर्षीय शारीरिक शिक्षा में स्नातक (बीपीएड) (राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद से मान्यता के अधीन)।’’

यूजीसी (छात्रों की शिकायतों का निवारण) विनियम, 2023 -

यूजीसी के दिशा-निर्देशों के अनुसार, विश्वविद्यालय को शैक्षणिक गतिविधियां शुरू होने के दो महीने के भीतर छात्रों की शिकायतों के निवारण के लिए यूजीसी (छात्रों की शिकायतों का निवारण) विनियम, 2023 के अनुसार तुरंत एक लोकपाल की नियुक्ति करनी चाहिए।

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