विश्वविद्यालयों, कॉलेजों में शिक्षक बनने के लिए एक विषय में पढ़ाई करने की बाध्यता समाप्त होने जा रहा है। इसके लिए एनईपी 2020 के तहत संशोधन की तैयारी चल रही है।
Saurabh Pandey | January 2, 2025 | 11:54 AM IST
नई दिल्ली : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) अपने रेग्युलेशन 2018 में संशोधन की तैयारी कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इसके बाद विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अब यूजीसी नेट या पीएचडी वाले विषयों में ही शिक्षक बना जा सकेगा। शिक्षक बनने के लिए पहले एक ही विषय में स्नातक(यूजी), परास्नातक (पीजी) और पीएचडी होना जरूरी था।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)2020 के तहत विश्वविद्यालयों में शिक्षक बनने की प्रक्रिया को और आसान बनाने के लिए काम किया जा रहा है। इसका मकसद उच्च शिक्षा में छात्रों को विभिन्न विषयों की पढ़ाई करने के लिए प्रेरित करना है।
विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षक बनने के लिए अभी तक यूजी, पीजी और पीएचडी में एक ही विषय में पढ़ाई होनी जरूरी थी। लेकिन एनईपी 2020 में यूजी, पीजी के दौरान छात्रों को कई विषयों में पढ़ाई करने की छूट दी गई है, जिससे कि छात्र का हर क्षेत्र में समग्र विकास हो सके। इसी के तहत शिक्षक बनने के नियमों में यह बदलाव किया जा रहा है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) इन्हीं जरूरतों और बदलावों को देखते हुए अपने रेग्यूलेशन 2018 में संशोधन की तैयारी कर रहा है। इसकी जगह यूजीसी रेग्यूलेशन 2024 आएगा। इससे यूजीसी के मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षक बनने की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव होगा।
इसके अलावा प्रमोशन में अब रिसर्च पेपर, स्टार्टअप, एंटरप्रन्योरशिप, इनोवेशन, पेटेंट, इंडस्ट्री पार्टनरशिप आदि के मूल्यांकन सहायक होंगे। इसके अलावा, असिस्टेंट प्रोफेसर से एसोसिएट और प्रोफेसर के पद पर प्रमोशन के लिए पीएचडी और फैकल्टी डेवलेपमेंट प्रोग्राम की ट्रेनिंग अनिवार्य होगी।