Press Trust of India | July 20, 2024 | 12:43 PM IST | 2 mins read
केंद्र, मेडिकल काउंसलिंग कमेटी और एनएमसी को नोटिस जारी करते हुए पीठ ने याचिकाकर्ता राहुल बलवान और 12 अन्य को एनबीई (नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन) को याचिका में एक पक्ष बनाने की भी छूट दी और इसे 26 जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने नीट सुपर स्पेशलिटी परीक्षा (नीट एसएस) आयोजित न करने के राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया है। संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत 13 डॉक्टरों द्वारा यह याचिका दायर की गई थी।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि एनएमसी के इस फैसले के कारण इस साल छात्रों के लिए नीट-एसएस परीक्षा नहीं होगी। कोर्ट ने केंद्र सरकार, मेडिकल काउंसलिंग कमेटी और एनएमसी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
13 उम्मीदवारों की ओर से पेश एक वकील ने बताया कि एनएमसी ने इस साल परीक्षा आयोजित नहीं करने का फैसला किया है। समाचार रिपोर्ट्स के अनुसार, नीट एसएस जनवरी 2025 में आयोजित होने की संभावना है।
केंद्र, मेडिकल काउंसलिंग कमेटी और एनएमसी को नोटिस जारी करते हुए पीठ ने याचिकाकर्ता राहुल बलवान और 12 अन्य को एनबीई (नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन) को याचिका में एक पक्ष बनाने की भी छूट दी और इसे 26 जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
पहले के फैसले का हवाला देते हुए, याचिकाकर्ताओं ने कहा कि नीट-एसएस हर साल आयोजित किया जाना है और इसके अलावा, सुपर-स्पेशियलिटी पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए शीर्ष अदालत ने पहले ही समय-सारणी तय कर दी है। वकील ने कहा कि इस साल परीक्षा स्थगित करने का निर्णय स्पष्ट रूप से इस तथ्य से उपजा है कि पहले कोविड 19 महामारी के कारण मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश में देरी हुई थी।
बता दें कि याचिका राहुल बलवान समेत 13 डॉक्टरों ने दायर की थी। याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व रश्मि नंदकुमार ने किया। याचिकाकर्ता डॉक्टर हैं, जिन्होंने स्नातकोत्तर स्तर तक चिकित्सा में अपनी शिक्षा पूरी की है, उन्होंने कहा कि वे 21 फरवरी को हुई बैठक में नीट-एसएस परीक्षा 2024 को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने के मनमाने और तर्कहीन निर्णय से परेशान हैं।
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सीजेआई ने शुरू में पूछा कि याचिकाकर्ता ने अनुच्छेद 32 याचिका के तहत सीधे शीर्ष न्यायालय से संपर्क क्यों किया। इस पर वकील ने बताया कि आशीष रंजन बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट के पिछले फैसले के अनुसार, परीक्षा हर साल एक निश्चित समय-सीमा के अनुसार आयोजित की जाती है। आशीष रंजन मामले में न्यायालय ने मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश पूरा करने के लिए एक समय-सीमा निर्धारित की थी।