Saurabh Pandey | June 26, 2024 | 06:36 PM IST | 2 mins read
इस कार्यक्रम के लिए छात्र दोनों संस्थानों में पंजीकृत होंगे और पूरे कार्यक्रम के दौरान दोनों संस्थानों के संसाधनों और सुविधाओं का लाभ ले सकते हैं। कार्यक्रम के पूरा होने पर, छात्रों को एसओएएस, लंदन विश्वविद्यालय और शिव नादर आईओई द्वारा संयुक्त एमए से सम्मानित किया जाएगा।
नई दिल्ली : शिव नादर इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस (शिव नादर आईओई) ने ग्लोबल अर्बन सोशियोलॉजी में संयुक्त रूप से दोहरे एक वर्षीय मास्टर ऑफ आर्ट्स (एमए) कार्यक्रम को शुरू करने के लिए लंदन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज (एसओएएस) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। कार्यक्रम को दोनों संस्थानों के मानव विज्ञान और समाजशास्त्र के संकाय सदस्यों द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है। आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, टीटी का उद्देश्य डिग्री प्रोग्राम में एडवांस स्टडी करने वाले छात्रों के साथ-साथ कामकाजी प्रोफेशनल्स के लिए है जो अपने करियर में और नई स्किल्स जोड़ना चाहते हैं।
यह एमए कार्यक्रम प्रोग्राम एक साल के लिए होगा और छात्रों को दो अलग-देशों के दोनों विश्वविद्यालयों में अध्ययन करने की अनुमति देगा। छात्रों को कार्यक्रम के हिस्से के रूप में यूके और भारत की यात्रा करने का मौका मिलेगा। पहला सत्र लंदन में एसओएएस में और दूसरा सत्र दिल्ली में चलेगा। उसके बाद एक शोध प्रबंध होगा जो या तो परिसर में या दूरस्थ रूप से किया जा सकता है।
इस कार्यक्रम के लिए छात्र दोनों संस्थानों में पंजीकृत होंगे और पूरे कार्यक्रम के दौरान दोनों संस्थानों के संसाधनों और सुविधाओं का लाभ ले सकते हैं। कार्यक्रम के पूरा होने पर, छात्रों को एसओएएस, लंदन विश्वविद्यालय और शिव नादर आईओई द्वारा संयुक्त एमए से सम्मानित किया जाएगा।
आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, यह कार्यक्रम शहरों के समाजशास्त्र पर जोर देने के लिए है और इसे शहरी विशेषज्ञता की बढ़ती वैश्विक आवश्यकता को पूरा करने के लिए विकसित किया गया है। वैश्विक शहरी समाजशास्त्र कार्यक्रम में एमए शहरी अनुसंधान डिजाइन के अलावा जलवायु परिवर्तन, शहरी पारिस्थितिकी, डिजिटल प्रशासन, सार्वजनिक स्वास्थ्य, सामाजिक बुनियादी ढांचे, शहर वास्तुकला और शहरी मानवतावाद जैसे विषयों को कवर करेगा।
इस कार्यक्रम के लिए छात्रों को £12,500 का एक निश्चित शिक्षण शुल्क देना होगा। कार्यक्रम के लिए प्रतिस्पर्धी वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाएगी। आवेदन वर्तमान में 31 जुलाई, 2024 तक स्वीकार किए जा रहे हैं और कार्यक्रम सितंबर 2024 में शुरू होने वाला है।
इस कार्यक्रम के शुभारंभ पर बोलते हुए शिव नादर इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस के कुलपति प्रोफेसर अनन्या मुखर्जी ने कहा कि यह हम सभी के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह साझेदारी पिछले 18 महीनों में पूर्ण समर्पण और कड़ी मेहनत का परिणाम है। लेकिन असली काम तो अब शुरू होता है। हमारा लक्ष्य ऐसे स्नातकों को तैयार करना है जो वैश्विक सहयोग की अलग-अलग कल्पनाएं कर सकें, अलग तरह से सीख सकें, अलग तरह से बोल सकें और एक अलग दुनिया की कल्पना कर सकें।