प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘मन की बात’ की पिछली कड़ी में उन्होंने बस्तर ओलंपिक और माओवाद प्रभावित जिलों में विज्ञान प्रयोगशालाओं की सफलता पर चर्चा की थी।
Press Trust of India | May 25, 2025 | 04:38 PM IST
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (25 मई, 2025) को कहा कि माओवाद के खिलाफ सामूहिक लड़ाई के परिणाम सामने आ रहे हैं और इससे प्रभावित रह चुके क्षेत्रों में विकास एवं शिक्षा को बढ़ावा मिल रहा है। पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के दौरान यह बात कही।
मोदी ने अपने मासिक ‘मन की बात’ रेडियो कार्यक्रम में कहा कि पहले माओवादी हिंसा की चपेट में रहे छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा और महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में काटेझरी जैसे दूरदराज के गांवों में अब बस सेवा और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं संभव हो गई हैं।
प्रधानमंत्री ने महाराष्ट्र के काटेझरी गांव का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘बस से यात्रा करना आम बात है लेकिन मैं आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताना चाहता हूं, जहां पहली बार बस आई। वहां के लोग इस दिन का वर्षों से इंतजार कर रहे थे और जब पहली बार गांव में बस आई, तो लोगों ने ढोल-नगाड़े बजाकर उसका स्वागत किया।’’
उन्होंने छत्तीसगढ़ के बस्तर और दंतेवाड़ा क्षेत्रों में विज्ञान प्रयोगशालाओं जैसी शैक्षणिक सुविधाओं के प्रसार का भी उदाहरण दिया।
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘‘मुझे यह जानकर खुशी हुई कि कक्षा 10वीं और 12वीं के परीक्षा परिणाम शानदार रहे।’’ आगे कहा कि दंतेवाड़ा जिला 95 प्रतिशत परिणामों के साथ 10वीं कक्षा की परीक्षा में छत्तीसगढ़ में शीर्ष स्थान पर रहा और इसने 12वीं कक्षा की परीक्षा में राज्य में छठा स्थान प्राप्त किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘मन की बात’ की पिछली कड़ी में उन्होंने बस्तर ओलंपिक और माओवाद प्रभावित जिलों में विज्ञान प्रयोगशालाओं की सफलता पर चर्चा की थी।
मोदी ने कहा, ‘‘यहां के बच्चे विज्ञान के प्रति जुनूनी हैं और खेलों में कमाल कर रहे हैं। ये प्रयास हमें बताते हैं कि इन क्षेत्रों में रहने वाले लोग साहसी हैं। कई चुनौतियों के बावजूद उन्होंने ऐसा रास्ता चुना है जो उनके जीवन को बेहतर बनाता है।’’
सरकार ने कहा है कि नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई निर्णायक चरण में प्रवेश कर चुकी है और उसने अगले साल 31 मार्च तक इस खतरे को खत्म करने का संकल्प व्यक्त किया है।
विश्वविद्यालय छात्र संघ ने एक बयान जारी कर 2025 में दाखिले के लिए आंतरिक पीएचडी प्रवेश परीक्षा आयोजित करने के अपने वादे से कथित रूप से पीछे हटने के लिए जेएनयू की कुलपति की आलोचना की।
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