Maharashtra News: महाराष्ट्र में कक्षा 1 से 5 तक के लिए हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य बनाने पर रोक

यह कदम सरकार की भाषा परामर्श समिति द्वारा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से निर्णय को वापस लेने का आग्रह करने के कुछ दिनों बाद उठाया गया है।

शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस मामले में नया शासनादेश जारी किया जाएगा। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)
शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस मामले में नया शासनादेश जारी किया जाएगा। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)

Santosh Kumar | April 22, 2025 | 08:16 PM IST

मुंबई: महाराष्ट्र के स्कूली शिक्षा मंत्री दादा भुसे ने मंगलवार को कहा कि राज्य सरकार ने मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों के लिए तीसरी भाषा के रूप में हिंदी अनिवार्य करने के अपने आदेश को स्थगित कर दिया है।

उन्होंने कहा कि इस मामले में एक नया सरकारी आदेश जारी किया जाएगा। यह कदम महाराष्ट्र सरकार की भाषा परामर्श समिति द्वारा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से निर्णय को वापस लेने का आग्रह करने के कुछ दिनों बाद उठाया गया है।

Maharashtra News: विपक्षी दलों ने किया था विरोध

राज्य के मराठी और अंग्रेजी माध्यम के सरकारी स्कूलों में पहली से पांचवीं तक के विद्यार्थियों के लिए हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य बनाने को लेकर पिछले सप्ताह सरकार द्वारा लिये गए निर्णय का विपक्षी दलों सहित विभिन्न हलकों में कड़ा विरोध देखा जा रहा है।

सरकार ने पिछले गुरुवार को फैसला किया था कि राज्य भर के मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों के लिए तीसरी भाषा के रूप में हिंदी पढ़ना अनिवार्य होगा। यह दो भाषाओं के अध्ययन की प्रथा से अलग है।

वहीं, राज्य की राजनीतिक पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने सरकार के इस फैसले की निंदा की। मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने कहा था कि उनकी पार्टी इस फैसले का कड़ा विरोध करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि इसे लागू न किया जाए।

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त्रिभाषा फॉर्मूला एनईपी का हिस्सा

बता दें कि कक्षा 1 से 5 तक के लिए तीन-भाषा फॉर्मूला राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 का हिस्सा है। राज्य स्कूल शिक्षा विभाग ने इस नीति के अनुसार बनाए गए नए पाठ्यक्रम को धीरे-धीरे लागू करने की योजना बनाई है।

वहीं, इसके विरोध में राज ठाकरे ने ट्विटर पर लिखा, "हम राज्य का 'हिंदूकरण' नहीं होने देंगे। हिंदी राष्ट्रीय भाषा नहीं है। यह देश की अन्य भाषाओं की तरह राज्य की भाषा है। महाराष्ट्र में इसे शुरू से ही क्यों पढ़ाया जाना चाहिए?"

इनपुट-पीटीआई

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