एमपी के शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने कहा कि सरकारी स्कूलों के बच्चों को नि:शुल्क पाठ्यपुस्तकें समय पर वितरित की जाएंगी। इसके निर्देश उन्होंने अधिकारियों को दे दिया है।
Saurabh Pandey | February 22, 2024 | 02:45 PM IST
नई दिल्ली : मध्य प्रदेश सरकार के स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने मंत्रालय में प्रारंभिक शिक्षा स्तर पर जिलों में कराए गए कार्यों के आधार पर जिलों की शैक्षणिक रिपोर्ट जारी की। यह रिपोर्ट दिसंबर 2023 तक के आंकड़ों के आधार पर तैयार की गई है। इस मौके पर संचालक राज्य शिक्षा केन्द्र धनराजू एस भी मौजूद थे।
जारी की गई रिपोर्ट में बताया गया है कि सीधी जिले की रैंकिंग पिछले वर्ष 46वें नंबर पर थी। इस वर्ष दिसंबर 2023 में सीधी की रैंकिंग बढ़कर 12वीं हो गई। श्योपुर जिले में शैक्षणिक गुणवत्ता में गिरावट दर्ज हुई है। इसकी रैंकिंग पिछले वर्ष 22वें स्थान की थी, जो इस वर्ष 45वें स्थान की हो गई। यह रिपोर्ट बच्चों के नामांकन और ठहराव, सीखने के परिणाम और गुणवत्ता, शिक्षक व्यवसायिक विकास, समानता, अधोसंरचना तथा सुविधाएं, सुशासन प्रक्रियाएं एवं वित्तीय प्रबंधन और नवभारत साक्षरता कार्यक्रम पर तैयार की गई है।
स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने कहा कि समग्र शिक्षा अभियान में तैयार की गई रिपोर्ट स्कूल शिक्षा के गुणात्मक सुधार में महत्वपूर्ण रोल निभाएगी। उन्होंने कहा कि घुमंतु जाति के परिवारों के स्कूल जाने वाले बच्चों की पढ़ाई में रूकावट न आए, इसके लिए ऐसा कार्ड तैयार किया जायेगा, जिसके आधार पर एक स्थान छोड़कर अन्य स्थान जाने पर कार्ड के आधार पर बच्चे को स्कूल में एडमिशन दिया जायेगा।
मंत्री ने आगे कहा कि पिछले दो दशकों में स्कूल शिक्षा के गुणात्मक सुधार के लिए ठोस प्रयास किए गए हैं। प्रदेश में सीएम राइज स्कूल और पीएमश्री स्कूल खोले जा रहे हैं। इन स्कूलों में विद्यार्थियों को विश्वस्तरीय सुविधा उपलब्ध कराए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की यूनिफार्म व्यवस्था के संबंध में उन्होंने बताया कि प्रदेश के 22 जिलों में यूनिफार्म बनाने का कार्य स्वयं सहायता समूह के माध्यम से किया जा रहा है। शेष जिलों में बच्चों के बैंक खातों में यूनिफार्म की राशि भेजी जा रही है।
स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकारी स्कूलों में बच्चों को नि:शुल्क पाठ्य पुस्तकें समय पर वितरित की जाएंगी। इसके निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में बच्चों के ड्रॉप आउट रेट को कम करने के भी प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूलों में बच्चों के अभिभावकों और शिक्षकों के बीच नियमित संवाद व्यवस्था को सुनिश्चित किया जा रहा है।