UP DPharma Counselling 2025: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने यूपी डीफार्मा काउंसलिंग पर लगाई रोक

आधिकारिक नोटिस में कहा गया कि, डीफॉर्मा काउंसलिंग प्रक्रिया पुनः शुरू किए जाने के संबंध में अलग से आदेश जारी किया जाएगा।

उच्च न्यायालय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित अंतिम तिथि से पहले काउंसलिंग शुरू करना पूरी तरह से अनुचित था। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)
उच्च न्यायालय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित अंतिम तिथि से पहले काउंसलिंग शुरू करना पूरी तरह से अनुचित था। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)

Abhay Pratap Singh | July 11, 2025 | 03:56 PM IST

नई दिल्ली: इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) की लखनऊ पीठ ने शैक्षणिक वर्ष 2025-26 के लिए डिप्लोमा इन फॉर्मेसी (D. Pharma) पाठ्यक्रमों के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी काउंसलिंग पर रोक लगा दी और इसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा बढ़ाई गई समय-सीमा का उल्लंघन माना। जस्टिस पंकज भाटिया ने कई फार्मेसी संस्थानों द्वारा दायर याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए यह निर्णय लिया है।

न्यायमूर्ति भाटिया ने कहा कि राज्य ने विस्तारित समय-सीमा को संशोधित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट (SC) से संपर्क नहीं किया था। एससी द्वारा निर्धारित अंतिम तिथि से पहले काउंसलिंग शुरू करना पूरी तरह से अनुचित था। न्यायालय ने कहा कि इस तरह की समयपूर्व कार्रवाई फार्मेसी अधिनियम के उद्देश्य को विफल और पात्र संस्थानों को भागीदारी से वंचित करती है।

उत्तर प्रदेश तकनीकी शिक्षा परिषद से संबद्ध डी.फार्मा पाठ्यक्रम संचालित करने वाले याचिकाकर्ताओं ने राज्य सरकार द्वारा जारी काउंसलिंग कार्यक्रम को चुनौती दी थी।

याचिका में कहा गया कि फार्मेसी अधिनियम, 1948 के तहत फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) फार्मेसी संस्थानों को अनुमोदन प्रदान करने के लिए अधिकृत एक वैधानिक निकाय है। शैक्षणिक वर्ष 2025-26 के लिए, याचिकाकर्ताओं ने अनुमोदन के लिए आवेदन किया था, लेकिन पीसीआई ने अभी तक आदेश पारित नहीं किए हैं और राज्य ने समय से पहले काउंसलिंग कार्यक्रम जारी कर दिया है।

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लॉ ट्रेंड के अनुसार, याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि 27 जून से 26 जुलाई, 2025 तक चलने वाला राज्य का काउंसलिंग कार्यक्रम सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित विस्तारित समय-सीमा का उल्लंघन है, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें काउंसलिंग से बाहर रखा जाएगा। याचिकाकर्ताओं ने एचएमएस कॉलेज ऑफ फार्मेसी, बुलंदशहर बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (रिट-सी संख्या 8389/2023) में उच्च न्यायालय के पूर्व के फैसले का हवाला दिया, जिसमें इसी तरह के समयपूर्व काउंसलिंग कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया था।

न्यायालय ने पीसीआई को लंबित अनुमोदन आवेदनों पर दो सप्ताह के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया। साथ ही, पीसीआई को सलाह दी कि वह लम्बे अनुमोदन चक्र को अपनाने पर विचार करे।

आधिकारिक नोटिस में कहा गया कि, “रिट याचिक संख्या-6289 / 2025 एवं अन्य में उच्च न्यायालय लखनऊ बेंच द्वारा 9 जुलाई, 2025 को पारित आदेश में डिप्लोमा इन फॉर्मेसी पाठ्यक्रम की काउंसलिंग हेतु जारी काउंसलिंग शेड्यूल एवं प्रक्रिया को निरस्त कर दिया गया है।”

आगे कहा गया कि, उच्च न्यायालय लखनऊ बेंच द्वारा पारित आदेश का पालन करते हुए 27 जून, 2025 से शुरू डिप्लोमा इन फॉर्मेसी पाठ्यक्रम की काउंसलिंग प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाएं। डीफॉर्मा काउंसलिंग प्रक्रिया पुनः शुरू किए जाने के संबंध में अलग से आदेश जारी किया जाएगा।

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