डीयू एसओएल भारत का एकमात्र केन्द्रीय सरकारी शिक्षण संस्थान है, जो विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा वित्त-पोषित नहीं है। यह एक सेल्फ-फाइनेन्स संस्थान है।
Saurabh Pandey | September 9, 2024 | 04:22 PM IST
नई दिल्ली : क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस) ने दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (एसओएल) द्वारा विभिन्न कोर्स में भारी फीस बढ़ोतरी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। सओएल द्वारा 2024-25 सत्र में भारी वृद्धि की गई है। सभी कोर्सेज में 1 हजार से 2 हजार रुपये तक फीस बढ़ाई गई है।
गौरतलब है कि यह फीस बढ़ोतरी कोविड-19 के बाद से लगातार चल रही है। 2021 में मनमाने तरीके से फीस लगभग दोगुनी कर दी गई थी। अब, हर साल, फीस में बढ़ोतरी की जा रही है। विडंबना है कि विभिन्न कोर्सेज के लिए ली जा रही फीस रेगुलर कॉलेजों में फीस से भी ज्यादा है।
उदाहरण के लिए, बीए (ऑनर्स) मनोविज्ञान की फीस बढ़ाकर 22,520 रुपये कर दी गई है, जो कि जीसस एंड मैरी कॉलेज जैसे डीयू के रेगुलर कॉलेजों में इस कोर्स की फीस से भी ज्यादा है। इसी तरह, अकादमिक वर्ष 2021-22 में बीए प्रोग्राम की फीस 4040 रुपये थी, जिसे 119.5 प्रतिशत बढ़ाकर, यानी 2024-25 में दोगुने से भी अधिक बढ़ाकर 8870 रुपये कर दिया गया है।
इसके अलावा, फीस ब्रेकअप से पता चलता है कि छात्रों से ‘विश्वविद्यालय विकास निधि’, ‘कॉलेज विकास निधि’, ‘विश्वविद्यालय सुविधाएं और सेवा शुल्क’, और ‘कॉलेज सुविधाएं और सेवा शुल्क’ आदि वसूले गए हैं। एसओएल छात्रों को एसओएल केंद्रों या विश्वविद्यालय में कोई सुविधा नहीं मिलती है। यहां तक कि छात्रों को विश्वविद्यालय में घूमने तक की भी अनुमति नहीं है।
कक्षाएं शुरू होने के बावजूद, छात्रों को अभी तक उनकी अध्ययन सामग्री भी नहीं मिली है, जो यूजीसी नियमों का उल्लंघन है। हर दिन हजारों छात्रों को स्टडी मटेरियल के लिए एसओएल केंद्रों के बाहर घंटों लाइन में लगाया जा रहा है। बड़ी संख्या में छात्रों को घंटों धूप में खड़ा करने के बाद बिना स्टडी मैटेरियल दिए ही भगा दिया जाता है।
छात्रों के एक प्रतिनिधिमंडल ने एसओएल अधिकारियों को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें अन्य मांगों के साथ-साथ फीस बढ़ोतरी को तुरंत वापस लेने, सभी को तत्काल स्टडी मटेरियल देने और पर्याप्त संख्या में कक्षाएं आयोजित करने की मांग की गई। अगर इसे बढ़ी हुई फीस को वापस नहीं लिया गया, तो इसके खिलाफ आने वाले दिनों में केवाईएस संघर्ष तेज करने की चेतावनी देता है।
डीयू और एसओएल द्वारा फंड जुटाने के लिए बड़े पैमाने पर फीस बढ़ोतरी की जाती है, जबकि छात्र न्यूनतम सुविधाओं से भी वंचित रहते हैं। यह ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि जहां फीस में बढ़ोतरी की गई है, वहीं समय पर कक्षाएं शुरू करना और पर्याप्त संख्या में कक्षाएं आयोजित करना, गुणवत्तापूर्ण स्टडी मटेरियल का समय पर वितरण, विभिन्न अध्ययन केंद्रों पर पुस्तकालय सुविधा जैसी बुनियादी सुविधाओं से भी छात्रों को वंचित किया जाता रहा है।