Surya Kant New CJI: जस्टिस सूर्यकांत ने भारत के 53वें चीफ जस्टिस के तौर पर ली शपथ, 15 माह का कार्यकाल

Santosh Kumar | November 24, 2025 | 01:57 PM IST | 2 mins read

न्यायमूर्ति सूर्यकांत को 30 अक्टूबर को अगला प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किया गया था और वह लगभग 15 महीने तक इस पद पर रहेंगे।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में एक समारोह में न्यायमूर्ति सूर्यकांत को शपथ दिलाई। (इमेज-एक्स/@narendramodi)
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में एक समारोह में न्यायमूर्ति सूर्यकांत को शपथ दिलाई। (इमेज-एक्स/@narendramodi)

नई दिल्ली: न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने भारत के 53वें प्रधान न्यायाधीश के तौर पर शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में एक समारोह में न्यायमूर्ति सूर्यकांत को शपथ दिलाई और उन्होंने हिंदी में शपथ ली। न्यायमूर्ति सूर्यकांत को न्यायमूर्ति बी आर गवई के स्थान पर न्यायपालिका के सर्वोच्च पद पर नियुक्त किया गया है।

न्यायमूर्ति गवई रविवार को सेवानिवृत्त हो गए। न्यायमूर्ति सूर्यकांत को 30 अक्टूबर को अगला प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किया गया और वह लगभग 15 महीने तक इस पद पर रहेंगे। वह 9 फरवरी 2027 को 65 वर्ष की उम्र होने पर यह पद छोड़ देंगे।

पीएम मोदी समेत कई नेता शामिल हुए

उपराष्ट्रपति सी पी राधाकृष्णन और पीएम मोदी समेत कई वरिष्ठ नेता इस समारोह में शामिल हुए। न्यायमूर्ति सूर्यकांत पीएम का अभिवादन करने उनके पास गए। बाद में, पीएम मोदी ने ‘एक्स’ पर शपथ ग्रहण समारोह की तस्वीरें साझा कीं।

समारोह में राष्ट्रपति मुर्मू, उप राष्ट्रपति राधाकृष्णन, पीएम मोदी, प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत, पूर्व प्रधान न्यायाधीश गवई और कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल की एक तस्वीर भी खींची गई। इस दौरान पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी मौजूद रहे।

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Justice Surya Kant: जस्टिस सूर्यकांत शैक्षिक योग्यता

10 फरवरी, 1962 को हरियाणा के हिसार जिले में मिडिल क्लास परिवार में जन्मे जस्टिस सूर्यकांत छोटे शहर के वकील से देश के सबसे ऊंचे न्यायिक पद तक पहुंचे। वह राष्ट्रीय महत्व और संवैधानिक मामलों के कई फैसलों और आदेशों का हिस्सा रहे।

उन्होंने कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से लॉ में मास्टर्स में 'प्रथम श्रेणी में प्रथम’ स्थान प्राप्त किया। जस्टिस सूर्यकांत, जिन्होंने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में कई खास फैसले दिए, उन्हें 5 अक्टूबर, 2018 को हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस बनाया गया।

उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाने से जुड़े फैसले, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और नागरिकता के अधिकारों पर फैसले देने के लिए जाना जाता है।

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