IIT Indore ने सौर ऊर्जा से खारे पानी को मीठा बनाने की खास तकनीक विकसित की

संस्थान के निदेशक ने बताया कि आईएसएसजी तकनीक से फोटोथर्मल पदार्थ सूर्य के प्रकाश से गर्म हो जाते हैं और खारे पानी को वाष्पित कर देते हैं, जिससे लवण और प्रदूषक तत्व अलग हो जाते हैं।

आईआईटी इंदौर के अनुसंधान दल ने आईएसएसजी तकनीक विकसित की है। (इमेज-विकिमीडिया कॉमन्स)
आईआईटी इंदौर के अनुसंधान दल ने आईएसएसजी तकनीक विकसित की है। (इमेज-विकिमीडिया कॉमन्स)

Press Trust of India | January 7, 2025 | 10:23 PM IST

मध्य प्रदेश: आईआईटी इंदौर ने सौर ऊर्जा का उपयोग करके खारे पानी को मीठा बनाने की किफायती तकनीक विकसित की है। यह विशेष रूप से तटीय क्षेत्रों और दूरदराज के क्षेत्रों के लिए फायदेमंद होगी। संस्थान के अधिकारियों ने 6 जनवरी को यह जानकारी दी।

अधिकारी ने बताया कि आईआईटी इंदौर के प्रोफेसर रूपेश देवन के नेतृत्व वाले अनुसंधान दल ने "इंटरफेशियल सोलर स्टीम जनरेशन" (आईएसएसजी) तकनीक से खारे पानी को मीठे पानी में बदलने में कामयाबी हासिल की है।

उन्होंने कहा कि खारे पानी को शुद्ध करने की यह पर्यावरण-अनुकूल तकनीक उन्नत "फोटोथर्मल" सामग्रियों का उपयोग करती है, जो सूर्य के प्रकाश को ऊष्मा में परिवर्तित करती है, जिसका उपयोग खारे पानी को गर्म करने के लिए किया जाता है।

संस्थान ने विकसित की ISSG तकनीक

आईआईटी इंदौर के निदेशक प्रो. सुहास जोशी ने बताया कि आईएसएसजी तकनीक से फोटोथर्मल पदार्थ सूर्य की रोशनी से गर्म हो जाते है, जिससे खारा पानी वाष्पित हो जाता है और लवण और प्रदूषक तत्व अलग हो जाता है।

प्रोफेसर जोशी ने कहा कि जहां पारंपरिक "रिवर्स ऑस्मोसिस" प्रक्रियाओं में बहुत अधिक ऊर्जा और संसाधनों की आवश्यकता होती है, वहीं आईआईटी इंदौर द्वारा विकसित आईएसएसजी तकनीक कम ऊर्जा में आसानी से काम करती है।

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IIT Indore: विशेष स्याही भी विकसित की

प्रो. देवन के नेतृत्व में अनुसंधान दल ने पारंपरिक कार्बन-आधारित "फोटोथर्मल" सामग्रियों की मौजूदा चुनौतियों पर काबू पाने के लिए धातु ऑक्साइड और कार्बाइड सामग्रियों का उपयोग करके विशेष स्याही भी विकसित की है।

प्रोफेसर देवन ने कहा, "हमने धातु ऑक्साइड स्याही का उपयोग करके उच्च वाष्पीकरण दर हासिल की, जो व्यावहारिक उपयोग के लिए आवश्यक है। हमारा उद्देश्य एक सस्ती और प्रभावी जल शोधन विधि विकसित करना था।"

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