इस पहल ने मास्टर बुनकरों को बाजार तक सीधी पहुंच प्रदान की, जिससे उनके वैश्विक व्यापार के अवसरों में वृद्धि हुई और ओडिशा के हथकरघा उद्योग की समृद्ध विरासत को बढ़ावा मिला। इस अवसर पर, गणमान्य व्यक्तियों द्वारा 'नेचुरल डाइंग' नाम की पुस्तिका का भी अनावरण किया गया।
Saurabh Pandey | September 3, 2024 | 06:35 PM IST
नई दिल्ली : देश के पारंपरिक हथकरघा क्षेत्र को मजबूती देने के लिए आईआईएम संबलपुर ने एक सेलर-बायर मीटिंग आयोजित की। इस कार्यक्रम का उद्देश्य मास्टर बुनकरों और भारत के विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित खरीदारों के बीच नेटवर्किंग की सुविधा प्रदान करना था, जिसमें फैबइंडिया, नाइका फैशन, रिलायंस स्वदेश और आदित्य बिड़ला लिवा जैसे प्रमुख ब्रांड शामिल थे।
इस पहल ने मास्टर बुनकरों को बाजार तक सीधी पहुंच प्रदान की, जिससे उनके वैश्विक व्यापार के अवसरों में वृद्धि हुई और ओडिशा के हथकरघा उद्योग की समृद्ध विरासत को बढ़ावा मिला। इस अवसर पर, गणमान्य व्यक्तियों द्वारा 'नेचुरल डाइंग' नाम की पुस्तिका का भी अनावरण किया गया।
इस कार्यक्रम को विशेष रूप से पश्चिमी ओडिशा के मास्टर बुनकरों के लिए आईआईएम संबलपुर परिसर में आयोजित किया गया था। कार्यक्रम का आयोजन कई प्रमुख स्टेकहोल्डर्स के सहयोग से किया गया, जिनमें भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (एसआईडीबीआई); आदित्य बिड़ला ग्रासिम, इंपीरियल कॉलेज, ओआरएमएएस और ओडिशा का मिशन शक्ति डिपार्टमेंट, शामिल थे।
इसके अलावा, इस दिन बुनकर उत्पादों की एक प्रदर्शनी की बिक्री भी हुई, जिसमें हथकरघा के काम की एक श्रृंखला प्रदर्शित की गई, जो फैशन में महत्वपूर्ण प्रगति को दिखाती है। प्रदर्शनी में एक्सेल यार्न सहित प्राकृतिक रंगों से रंगे फाइबर यार्न के उपयोग पर जोर दिया गया, साथ ही जलकुंभी, बांस और केले के पौधों से प्राप्त फाइबर यार्न में नवाचारों पर भी जोर दिया गया।
इसके अलावा, संस्थान ने मास्टर बुनकरों और कारीगरों के उत्पादों को डिजिटल मार्केटिंग प्लेटफॉर्म पर लाने की सुविधा के लिए फ्लिपकार्ट के साथ एक एमओयू साइन किया है, जिससे उनकी बाजार पहुंच बढ़ रही है। कार्यक्रम में सेलर-बायर, मास्टर बुनकर, संकाय, कर्मचारी, आईआईएम संबलपुर के छात्र सहित 1000 से अधिक लोगों ने भाग लिया।
आईआईएम संबलपुर के निदेशक प्रो. महादेव जायसवाल ने अपने संबोधन में भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में हथकरघा क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारत के हथकरघा उद्योग को पुनर्जीवित करने पर हमारा ध्यान सस्टेनेबल विजन का हिस्सा है।
मुख्य अतिथि एमसीएल के निदेशक (कार्मिक) केशव राव ने बाजार पहुंच में सुधार के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म के महत्व पर जोर दिया। उन्होने इस क्षेत्र को बदलने के लिए इनोवेशन की क्षमता को रेखांकित किया और कहा कि संबलपुर क्षेत्र के हथकरघा उत्पादों की असाधारण गुणवत्ता बुनकरों की प्रतिभा और समर्पण को ही दर्शाती है।
सिडबी के सीजीएम और ईस्टर्न जोन इंचार्ज अरूप कुमार ने की-नोट स्पीकर के तौर पर अपने भाषण में हथकरघा क्षेत्र के भीतर छोटे और मध्यम उद्यमों की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए आईआईएम और आईआईटी के सहयोग से सिडबी द्वारा संचालित क्लस्टर हस्तक्षेप कार्यक्रम के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि परिवर्तन सामूहिक दृष्टि और मजबूत कार्रवाई से ही संभव होता है।
मुख्य अतिथि, प्रियंका प्रियदर्शिनी, वाइस प्रेसिडेंट, बिजनेस डवलपमेंट, ग्रासिम इंडस्ट्रीज लिमिटेड, आदित्य बिड़ला समूह ने उद्योग और कारीगरों के बीच सहयोग के महत्व पर बोलते हुए कहा कि पारंपरिक शिल्प कौशल को आधुनिक तकनीक के साथ मिलाकर, हम ऐसे स्थायी समाधान बनाते हैं जो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों मांगों को पूरा करते हैं।
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समारोह का समापन प्रमाण पत्र वितरण समारोह के साथ हुआ, जिसमें हथकरघा क्षेत्र में विभिन्न हितधारकों के योगदान को मान्यता दी गई। प्रो. सुजीत कुमार प्रुसेथ ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया, जबकि स्वागत भाषण प्रो. सुमिता सिंधी ने दिया।