शिक्षा मंत्रालय ने केंद्रीय विद्यालयों में कक्षा 5 और 8 के छात्रों के लिए ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को खत्म किया

नो डिटेंशन पॉलिसी केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों और सैनिक स्कूलों सहित 3,000 से अधिक केंद्र सरकार द्वारा संचालित स्कूलों पर लागू होती है।

केंद्रीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के बीच सीखने के परिणाम को बेहतर बनाने के लिए यह निर्णय लिया गया है। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)
केंद्रीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के बीच सीखने के परिणाम को बेहतर बनाने के लिए यह निर्णय लिया गया है। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)

Abhay Pratap Singh | December 23, 2024 | 06:46 PM IST

नई दिल्ली: शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार ने कक्षा 5 और कक्षा 8 के छात्रों के लिए ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को खत्म कर दिया है। नियम के अनुसार, 5वीं और 8वीं कक्षाओं में वार्षिक परीक्षा में असफल होने वाले विद्यार्थी परिणाम घोषित होने के दो महीने के भीतर दोबारा परीक्षा दे सकेंगे।

‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ में यह भी कहा गया है कि अगर छात्र दोबारा परीक्षा पास करने में विफल रहते हैं, तो उन्हें प्रमोट नहीं किया जाएगा और स्कूल कक्षा 8 तक छात्रों को निष्कासित नहीं करेगा। किसी भी बालक को तब तक स्कूल से नहीं स्कूल से नहीं निकाला जाएगा, जब तक वह प्रारंभिक शिक्षा पूरी नहीं कर लेता है।

यह नई नीति केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों और सैनिक स्कूलों सहित 3,000 से अधिक केंद्र सरकार द्वारा संचालित स्कूलों पर लागू होती है। डिटेंशन पॉलिसी में यह बड़ा बदलाव शिक्षा के अधिकार अधिनियम में 2019 के संशोधन को उलट देता है।

केंद्र सरकार ने बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार नियम, 2010 में भी संशोधन किया है, जिसके तहत राज्यों को कक्षा 5 और 8 के छात्रों के लिए “नियमित परीक्षा” आयोजित करने और असफल होने पर उनकी परीक्षा स्थगित करने की अनुमति दी गई है।

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पॉलिसी में कहा गया कि, कक्षा शिक्षक बालक के साथ-साथ बालक के माता-पिता का भी मार्गदर्शन करेंगे। स्कूल प्रमुख ऐसे छात्रों की सूची बनाएगा और उनकी प्रगति पर व्यक्तिगत रूप से मॉनीटरी करेगा। छात्रों के विकास के लिए परीक्षा और पुनः परीक्षा सक्षमता-आधारित परीक्षाएं होंगी, न कि याद करने और प्रक्रियात्मक कौशल पर आधारित होंगी।

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के सचिव संजय कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, “अगर दोबारा परीक्षा देने वाला बच्चा फिर से प्रमोशन के मानदंडों को पूरा करने में विफल रहता है, तो उसे कक्षा 5 या कक्षा 8 में रोक दिया जाएगा।”

उन्होंने शिक्षकों को निर्देश दिया कि वे परीक्षा पास करने में विफल रहने वाले छात्रों के सीखने के अंतराल को दूर करने के लिए उपचारात्मक कक्षाएं प्रदान करें। केंद्रीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के बीच सीखने के परिणाम को बेहतर बनाने के लिए यह निर्णय लिया गया है।

वर्ष 2019 में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) में संशोधन के बाद कम से कम 16 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों ने पहले ही दो कक्षाओं के लिए ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को समाप्त कर दिया है। वहीं, हरियाणा और पुडुचेरी ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया, जबकि शेष राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने नीति जारी रखने का निर्णय लिया है।

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