Santosh Kumar | September 1, 2025 | 06:05 PM IST | 1 min read
मंत्री ने कहा कि एनसीईआरटी लंबे समय से छात्रों की पीढ़ियों का मार्गदर्शन करता रहा है और देश की शिक्षा प्रणाली का एक मजबूत स्तंभ रहा है।
नई दिल्ली: राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने 1 सितंबर 2025 को नई दिल्ली स्थित मुख्यालय में अपना 65वां स्थापना दिवस मनाया। इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए और उन्होंने शिक्षा क्षेत्र में एनसीईआरटी की महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की। एनसीईआरटी के 65वें स्थापना दिवस समारोह में कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
इनमें शिक्षा मंत्रालय के सचिव संजय कुमार, भारतीय भाषा समिति के अध्यक्ष चामू कृष्ण शास्त्री, एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी, यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार, इसरो के पूर्व अध्यक्ष डॉ. एस सोमनाथ शामिल रहे।
इसके अलावा, एनसीईआरटी के पूर्व निदेशक प्रो. जे.एस. राजपूत और शिक्षा मंत्रालय तथा एनसीईआरटी के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। इस अवसर पर, केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने दीक्षा 2.0 सहित कई पहलों का शुभारंभ किया।
मंत्री ने ओडिशा के 100 महापुरुषों के जीवन और योगदान पर आधारित पुस्तक का भी विमोचन किया। उन्होंने एनसीईआरटी को भारत की शिक्षा प्रणाली का एक प्रतिष्ठित और केंद्रीय संस्थान बताते हुए शुभकामनाएं दीं।
मंत्री ने कहा कि एनसीईआरटी लंबे समय से छात्रों की पीढ़ियों का मार्गदर्शन करता रहा है और देश की शिक्षा प्रणाली का एक मजबूत स्तंभ रहा है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने प्रौद्योगिकी-आधारित शिक्षा पर सरकार के फोकस पर भी चर्चा की।
उन्होंने ‘दीक्षा 2.0’ प्लेटफ़ॉर्म के बारे में बताया, जो आधुनिक और उन्नत डिजिटल माध्यम है। इसमें संरचित पाठ, अनुकूली मूल्यांकन, रीड-अलाउड जैसे एआई उपकरण और 12 भारतीय भाषाओं में अनुवाद की सुविधा उपलब्ध है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने दीक्षा से लाभान्वित हुए छात्रों से प्रत्यक्ष प्रतिक्रिया भी साझा की, जिसमें बताया गया कि कैसे यह प्लेटफ़ॉर्म शिक्षार्थी-विशिष्ट शिक्षा को सुगम बना रहा है और शिक्षकों और छात्रों दोनों को सशक्त बना रहा है।