Santosh Kumar | August 28, 2025 | 07:29 PM IST | 1 min read
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘एकल शिक्षक वाले स्कूलों की संख्या में पिछले वर्ष की तुलना में आलोच्य वर्ष में लगभग 6% की कमी आई है।
नई दिल्ली: शिक्षा मंत्रालय के यूडीआईएसई आंकड़ों से पता चलता है कि पहली बार 2024-25 के दौरान देशभर में स्कूल शिक्षकों की कुल संख्या एक करोड़ का आंकड़ा पार कर गई। शिक्षा के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली (यूडीआईएसई) प्लस स्कूली शिक्षा संबंधी आंकड़ा एकत्र करने वाला एक मंच है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘शिक्षकों की संख्या में वृद्धि छात्र-शिक्षक अनुपात में सुधार, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने और शिक्षकों की उपलब्धता में क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।’’
2022-23 की तुलना में इस साल शिक्षकों की संख्या 6.7% बढ़ी है। आधारभूत स्तर पर विद्यार्थी-शिक्षक अनुपात 10, प्राथमिक में 13, मध्य में 17 और माध्यमिक स्तर पर 21 है। यह एनईपी द्वारा सुझाए गए 1:30 अनुपात से कहीं बेहतर है।
2024-25 में बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर में पिछले दो वर्षों की तुलना में बड़ी कमी आई है। प्राथमिक स्तर पर यह दर 3.7% से घटकर 2.3%, माध्यमिक स्तर पर 5.2% से घटकर 3.5% और माध्यमिक स्तर पर 10.9% से घटकर 8.2% हो गई है।
वर्ष 2024-25 में सभी स्तरों पर स्कूल छोड़ने की रोकथाम में सुधार हुआ है। पिछले वर्ष की तुलना में दरें बढ़ी हैं: बेसिक स्तर पर 98.0% से बढ़कर 98.9%, प्राथमिक स्तर पर 85.4% से बढ़कर 92.4% और माध्यमिक स्तर पर 78.0% से बढ़कर 82.8% हो गई हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘एकल शिक्षक वाले स्कूलों की संख्या में पिछले वर्ष की तुलना में आलोच्य वर्ष में लगभग 6% की कमी आई है। शून्य नामांकन वाले स्कूलों की संख्या में लगभग 38 प्रतिशत की भारी गिरावट देखी गई है।’’
सर्वेक्षण के अनुसार, पूरे भारत में शिक्षा प्रदान करने में सरकारी स्कूल अहम भूमिका निभाते हैं और अभी भी स्कूलों में नामांकित कुल छात्रों में से 55.9 प्रतिशत छात्र सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं।
Santosh Kumar