DUSU Elections 2025: ‘आप’ छात्र इकाई ने उम्मीदवारों के लिए एक लाख रुपये के बॉन्ड नियम की आलोचना की

Press Trust of India | August 14, 2025 | 09:10 AM IST | 2 mins read

‘एसोसिएशन ऑफ स्टूडेंट्स फॉर अल्टरनेटिव पॉलिटिक्स’ की दिल्ली इकाई के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि यह आदेश एक ‘‘तुगलकी फरमान’’ है।

दिल्ली विश्वविद्यालय ने डूसू चुनावों के लिए 8 अगस्त को दिशानिर्देश जारी किया था। (प्रतीकात्मक-विकिमीडिया कॉमन्स)
दिल्ली विश्वविद्यालय ने डूसू चुनावों के लिए 8 अगस्त को दिशानिर्देश जारी किया था। (प्रतीकात्मक-विकिमीडिया कॉमन्स)

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (आप) की छात्र शाखा ‘एसोसिएशन ऑफ स्टूडेंट्स फॉर अल्टरनेटिव पॉलिटिक्स’ (एएसएपी) ने बुधवार को छात्र संघ चुनाव लड़ने वाले प्रत्येक उम्मीदवार के लिए एक लाख रुपये का बॉन्ड भरना अनिवार्य किए जाने के दिल्ली विश्वविद्यालय के नियम की आलोचना की। उन्होंने इस फैसले को मध्यम वर्ग के विद्यार्थियों को चुनाव से बाहर रखने के लिए ‘‘जानबूझकर रची गई एक साजिश’’ करार दिया।

विश्वविद्यालय ने इन आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। डीयू ने डूसू चुनावों के लिए 8 अगस्त को एक नियम जारी किया था, जिसके तहत परिसर और आसपास गंदगी या तोड़फोड़ रोकने के लिए बॉन्ड भरना जरूरी किया गया।

डीयू द्वारा जारी दिशानिर्देशों के मुताबिक, “चुनाव लड़ने वाले प्रत्येक उम्मीदवार को डूसू के किसी भी पद के लिए नामांकन दाखिल करते समय विरूपण/उल्लंघन के अपराध के लिए एक लाख रुपये का बॉन्ड भरना होगा।”

डीयू के आदेश 'तुगलकी फरमान'

‘एसोसिएशन ऑफ स्टूडेंट्स फॉर अल्टरनेटिव पॉलिटिक्स’ की दिल्ली इकाई के प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप बिधूड़ी ने कहा कि यह आदेश एक ‘‘तुगलकी फरमान’’ है, जिससे कई आम विद्यार्थियों के लिए चुनाव लड़ना असंभव हो जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर कोई छात्र चारों पदों के लिए नामांकन करता है तो वह चार लाख रुपये कहां से लाएगा?’’ दिशानिर्देशों के तहत रैलियों, लाउडस्पीकरों और रोड शो पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और प्रचार केवल ऑनलाइन होगा।

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छात्रों के हित में लिया जाए फैसला

ये नियम विश्वविद्यालय को जुर्माना लगाने, निलंबन या निष्कासन का अधिकार देते हैं। ज़ाकिर हुसैन कॉलेज के अध्यक्ष शैलेश यादव ने पूछा कि क्या यह सीटों की नीलामी है जहां केवल बॉन्ड भरने वाले ही उम्मीदवार बन सकते हैं।

उन्होंने कहा, “यह विद्यार्थियों का विश्वविद्यालय है। डीयू प्रशासन को विद्यार्थियों‍ के हितों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेने चाहिए।” डीयू ने परिसर की गरिमा बनाए रखने और संपत्ति की सुरक्षा के लिए इन उपायों को आवश्यक बताया है।

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