Delhi School Fee Regulation Bill: दिल्ली विधानसभा में शुल्क विनियमन विधेयक पारित, ‘आप’ के संशोधन खारिज

Santosh Kumar | August 9, 2025 | 01:44 PM IST | 2 mins read

आशीष सूद ने कहा कि विधेयक में स्कूलों द्वारा मनमाने ढंग से फीस वृद्धि को रोकने के लिए एक मजबूत नियामक ढांचे की व्यवस्था की गई है।

विधेयक को मंजूरी के लिए दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के पास भेजा जाएगा। (प्रतीकात्मक-विकिमीडिया कॉमन्स)

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा ने निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों में फीस वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा पेश किए गए विधेयक को मंजूरी दे दी। कल (8 अगस्त) सदन में 4 घंटे की बहस के बाद, दिल्ली स्कूल शिक्षा शुल्क निर्धारण और विनियमन पारदर्शिता विधेयक, 2025 पारित हो गया। इस साल फरवरी में विधानसभा चुनाव जीतकर भाजपा के सत्ता में आने के बाद, यह दिल्ली विधानसभा द्वारा पारित पहला विधेयक है।

सदन में बहस के दौरान विधेयक का समर्थन करते हुए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि इससे दिल्ली में स्कूली बच्चों के अभिभावकों का न्याय के लिए इंतजार खत्म होगा और उन्हें निजी स्कूलों द्वारा फीस वृद्धि की चिंता से राहत मिलेगी।

विधेयक को सभी 21 धाराओं पर मत विभाजन के बाद पारित कर दिया गया। भाजपा के 41 विधायकों ने विधेयक के पक्ष में मतदान किया, जबकि विपक्षी दल आम आदमी पार्टी (आप) के 17 विधायकों ने इसके विरोध में मतदान किया।

'आप’ के प्रस्तावित संशोधन मतदान में खारिज

भाजपा के 70 सदस्यीय विधानसभा में 48 सदस्य हैं और ‘आप’ के 22 सदस्य हैं। मतदान के समय भाजपा के 7 और ‘आप’ के 5 विधायक सदन में मौजूद नहीं थे। ‘आप’ विधायकों द्वारा प्रस्तावित सभी 8 संशोधनों को मतदान में खारिज कर दिया गया।

अब विधेयक को मंजूरी के लिए दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के पास भेजा जाएगा। शिक्षा मंत्री आशीष सूद द्वारा पेश किए गए इस विधेयक का उद्देश्य दिल्ली में निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों द्वारा फीस वृद्धि को विनियमित करना है।

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आशीष सूद ने आतिशी पर निशाना साधा

सभा में लंबी बहस और शोरगुल के बाद आतिशी पर निशाना साधते हुए सूद ने पहले के विधेयक के प्रावधानों का मजाक उड़ाया और सवाल किया कि वे प्रावधान कहां हैं जिनकी अब नेता प्रतिपक्ष और उनकी पार्टी के विधायक मांग कर रहे हैं।

सूद ने कहा कि अपने द्वारा पेश विधेयक में स्कूलों द्वारा मनमाने ढंग से फीस वृद्धि को रोकने के लिए एक मजबूत नियामक ढांचे की व्यवस्था की गई है। आतिशी ने आरोप लगाया कि यह विधेयक स्कूली बच्चों के अभिभावकों के हित में नहीं है।

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