Delhi Library Fee News: लाइसेंस प्राप्त पुस्तकालयों ने अपना शुल्क किया दोगुना, यूपीएससी अभ्यर्थियों का दावा

दिल्ली के पटेल नगर स्थित पुस्तकालयों में छात्रों से 4,000 रुपये से लेकर 5,000 रुपये तक शुल्क भुगतान की मांग की जा रही है।

एमसीडी ने बेसमेंट में संचालित अवैध पुस्तकालय किए सील। (प्रतीकात्मक-विकिमीडिया कॉमन्स)
एमसीडी ने बेसमेंट में संचालित अवैध पुस्तकालय किए सील। (प्रतीकात्मक-विकिमीडिया कॉमन्स)

Press Trust of India | July 31, 2024 | 03:43 PM IST

नई दिल्ली: सिविल सेवा अभ्यर्थियों ने दावा किया है कि ओल्ड राजेंद्र नगर और इसके आसपास के इलाकों में लाइसेंस प्राप्त पुस्तकालयों ने अपना शुल्क दोगुना कर दिया है। बताया गया कि इमारत के ‘बेसमेंट’ मे अवैध रूप से संचालित कोचिंग सेंटर पर दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की कार्रवाई के बाद शुल्क में बढ़ोतरी की गई है।

एमसीडी ने ओल्ड राजेंद्र नगर में उन इमारतों पर कार्रवाई की है, जहां ‘बेसमेंट’ का इस्तेमाल पुस्तकालयों समेत अन्य व्यावसायिक गतिविधियों के लिए किया जा रहा था।

नगर निगम ने यह कार्रवाई पिछले शनिवार को भारी बारिश के बाद इलाके के एक कोचिंग सेंटर के ‘बेसमेंट’ में अवैध रूप से संचालित लाइब्रेरी में पानी भर जाने के कारण तीन सिविल सेवा अभ्यर्थियों की मौत के बाद की थी।

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) परीक्षा की तैयारी कर रहे एक अभ्यर्थी ने बताया कि पहले पुस्तकालय मालिक एक व्यक्ति से प्रति माह 2,000 रुपये से 3,000 रुपये शुल्क लेते थे। इस हादसे के बाद अब शुल्क दोगुना कर दिया गया है।

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छात्र आगे ने बताया कि, ओल्ड राजेंद्र नगर स्थित राऊ कोचिंग सेंटर हादसे के बाद नगर निगम के अधिकारियों द्वारा अवैध रुप से संचालित पुस्तकालयों को सील कर दिया गया है। जिस वजह से अभ्यर्थियों के पास ज्यादा विकल्प नहीं होने से लाइसेंस प्राप्त पुस्तकालयों के मालिकों ने शुल्क में बढ़ोतरी की है।

एक अन्य छात्र ने बताया कि राजेंद्र नगर के आसपास के इलाकों जैसे पटेल नगर में पुस्तकालयों में जाने वाले छात्रों से 4,000 रुपये से 5,000 रुपये तक शुल्क भुगतान करने के लिए कहा जा रहा है।

राऊ आईएएस स्टडी सर्किल हादसा: बायोमेट्रिक लॉक सिस्टम

राऊ कोचिंग के एक छात्र ने हाल ही में बताया कि संस्थान के बेसमेंट में बने लाइब्रेरी में बायोमेट्रिक लॉक सिस्टम नहीं था। छात्र ने आगे बताया कि बेसमेंट में दो दरवाजे थे, जिनमें से एक दरवाजा आमतौर पर शाम 6 बजे के आसपास बंद कर दिया जाता था।

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