Press Trust of India | August 5, 2025 | 08:46 AM IST | 2 mins read
विपक्ष की नेता और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी ने मांग की कि सदन में विचार से पहले इस विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजा जाए।
नई दिल्ली: दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने सोमवार को विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन राष्ट्रीय राजधानी में निजी स्कूलों द्वारा शुल्क वृद्धि को विनियमित करने के लिए एक विधेयक पेश किया और दावा किया कि इसे रोकने के लिए ‘‘धमकियां’’ दी गईं।
दिल्ली स्कूल शिक्षा पारदर्शिता शुल्क निर्धारण एवं विनियमन विधेयक, 2025 को विधानसभा में पेश किए जाने से पहले सूद ने कहा कि निजी स्कूलों द्वारा शुल्क में बढ़ोतरी का मुद्दे को रेखा गुप्ता के नेतृत्व वाली सरकार हल करने जा रही है।
शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने आगे कहा कि यह सबसे बड़ा मुद्दा है जो मौजूदा सरकार को पिछली सरकार से मिला है। उन्होंने कहा कि हर साल निजी स्कूलों की फीस बढ़ोतरी से स्कूली बच्चों के माता-पिता प्रभावित होते हैं।
सूद ने कहा कि शिक्षा माफिया और उससे जुड़े लोगों द्वारा "हमें विधानसभा में विधेयक पेश करने से डराने की कोशिश की गई।" शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस विधेयक को रोकने के लिए उन पर और मुख्यमंत्री पर आरोप लगाए गए।
उन्होंने कहा, "इसे रोकने के दबाव और धमकियों के बावजूद हमने यह विधेयक लाने का फैसला किया।" सूद ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) की भी आलोचना की और उस पर निजी स्कूलों के साथ "छलपूर्ण व्यवहार" करने का आरोप लगाया।
विधेयक में शुल्क तय करते समय विचार किए जाने वाले कई कारकों का उल्लेख किया गया है, जिनमें स्कूल का स्थान, बुनियादी ढांचे और शिक्षा की गुणवत्ता, प्रशासनिक लागत, कर्मचारियों का वेतन, अधिशेष निधि और निर्धारित अन्य कारक शामिल हैं।
विपक्ष की नेता आतिशी ने मांग की कि सदन में विचार से पहले इस विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजा जाए। उन्होंने यह भी मांग की कि शुल्क को 2024-25 के स्तर पर स्थिर रखा जाए ताकि स्कूलों द्वारा कोई नयी बढ़ोतरी न की जाए।
आप के विधायकों ने दिल्ली विधानसभा परिसर में स्कूलों द्वारा फीस वृद्धि को नियंत्रित करने वाले एक विधेयक का विरोध किया और साथ ही इसे निजी स्कूल मालिकों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाया गया एक "ढोंग" बताया।