समिति यह जांच करेगी कि स्कूली शिक्षा के नजरिए से प्रवेश परीक्षाएं कितनी प्रभावी और निष्पक्ष हैं और कोचिंग उद्योग पर उनका क्या प्रभाव पड़ रहा है।
Press Trust of India | June 21, 2025 | 01:06 PM IST
नई दिल्ली: कोचिंग संस्थानों और ‘डमी स्कूलों’ के बढ़ते चलन के साथ-साथ प्रवेश परीक्षाओं की प्रभावशीलता और निष्पक्षता की जांच के लिए शिक्षा मंत्रालय ने नौ सदस्यीय समिति गठित की है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उच्च शिक्षा सचिव विनीत जोशी की अध्यक्षता वाली समिति उच्च शिक्षा में प्रवेश के लिए कोचिंग सेंटरों पर छात्रों की निर्भरता कम करने के उपाय सुझाएगा।
समिति इस बात की जांच करेगी कि स्कूली शिक्षा में ऐसी क्या कमी है जिसके कारण छात्र कोचिंग पर निर्भर हो जाते हैं। यह भी देखा जाएगा कि किस तरह रटने की आदत बढ़ रही है और सोचने, तर्क करने, विश्लेषण करने पर कम ध्यान दिया जा रहा है।
इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करने वाले कई छात्र डमी स्कूलों में दाखिला लेते हैं ताकि वे प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए ही पढ़ाई कर सकें। ये छात्र स्कूल की कक्षाओं में नहीं जाते और सीधे बोर्ड परीक्षा में शामिल हो जाते हैं।
कई छात्र राज्य में आरक्षण का लाभ लेने के लिए डमी स्कूल चुनते हैं। उदाहरण के लिए, दिल्ली में पढ़ने वाले छात्र दिल्ली के मेडिकल कॉलेजों में राज्य कोटे के लिए पात्र हो जाते हैं, इसलिए वे राजधानी के डमी स्कूलों में दाखिला ले लेते हैं।
अधिकारी ने कहा, “ऐसे ‘डमी’ स्कूलों के उभरने के पीछे के कारणों की जांच की जाएगी और समिति औपचारिक स्कूली शिक्षा की कीमत पर पूर्णकालिक कोचिंग को प्रोत्साहित करने में उनकी भूमिका का अध्ययन करेगी तथा उन्हें कम करने के उपाय सुझाएगी।”
समिति यह जांच करेगी कि स्कूली शिक्षा के नजरिए से प्रवेश परीक्षाएं कितनी प्रभावी और निष्पक्ष हैं और कोचिंग उद्योग पर उनका क्या प्रभाव पड़ रहा है। इसमें सीबीएसई प्रमुख और शिक्षा विभागों के संयुक्त सचिव भी शामिल होंगे।
इस समिति में आईआईटी मद्रास, एनआईटी त्रिची, आईआईटी कानपुर और एनसीईआरटी के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। इसके अलावा केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय और निजी स्कूल के एक-एक प्रिंसिपल भी इसमें शामिल होंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'एक्स' पर लिखा कि क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2026 भारत की शिक्षा के लिए अच्छी खबर है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार युवाओं के लिए शोध और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए लगातार काम कर रही है।
Santosh Kumar