सीबीएसई ने स्कूलों को कक्षा 4, 5, 7 और 8 के लिए नई एनसीईआरटी पुस्तकें अपनाने की दी सलाह
Santosh Kumar | April 11, 2025 | 04:05 PM IST | 2 mins read
एनसीईआरटी की किताबों में कई बदलाव किए गए हैं। इन बदलावों के तहत बोर्ड ने स्कूलों में नए सिलेबस की पढ़ाई के लिए ब्रिज कोर्स अनिवार्य किया है।
नई दिल्ली: नई शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 और एनसीएफ 2023 के अनुसार, सीबीएसई ने सभी स्कूलों को 2025-26 सत्र से कक्षा 4, 5, 7 और 8 के लिए एनसीईआरटी की नई योग्यता-आधारित पुस्तकों को अपनाने की सलाह दी है। इसके साथ ही सीबीएसई ने स्कूलों से कक्षा 5, 6 और 8 के लिए ब्रिज प्रोग्राम शुरू करने को कहा है, ताकि बच्चे आसानी से नए पाठ्यक्रम को समझ सकें।
एनईपी 2020 के तहत पुस्तकों में कई बदलाव किए गए हैं। इन बदलावों के तहत सीबीएसई स्कूलों में नए सिलेबस की पढ़ाई के लिए ब्रिज कोर्स अनिवार्य होगा। सीबीएसई ने कक्षा 5, 6 और 8 के लिए ब्रिज कोर्स चलाने का निर्देश दिया।
इसके तहत कक्षा 5वीं और 6वीं के लिए 30 दिन का ब्रिज कोर्स होगा। वहीं कक्षा 8वीं के लिए 45 दिन का कोर्स होगा। सीबीएसई ने 1 अप्रैल से ब्रिज कोर्स शुरू करने के निर्देश दिए। इस दौरान नए सत्र की पढ़ाई भी कराई जाएगी।
शिक्षकों के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण
यह कार्यक्रम इसलिए बनाया गया है ताकि बच्चे आसानी से नए पाठ्यक्रम को समझ सकें और उसमें ढल सकें। इस कार्यक्रम में खेल-खेल में पढ़ाई करवाई जाएगी। इसमें कला, खेल, स्वास्थ्य और कौशल को भी पढ़ाई का हिस्सा बनाया जाएगा।
इसका उद्देश्य यह है कि बच्चे मौज-मस्ती के साथ सीखें और उनके लिए पढ़ाई का नया तरीका अपनाना आसान हो। इन पुस्तकों का उद्देश्य नई शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप शिक्षा में सुधार और समानता लाना है।
इससे पहले बाल वाटिका के साथ ही कक्षा 1, 2, 3 और 6 की नई पुस्तकें पिछले सत्र में जारी की जा चुकी हैं। इस बदलाव को सफल बनाने के लिए सीबीएसई, केवीएस और एनवीएस के शिक्षकों के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण भी आयोजित किया जा रहा है।
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ब्रिज कोर्स शुरू करने के निर्देश
सीबीएसई ने पुराने और नए सिलेबस के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए ब्रिज कोर्स शुरू करने के निर्देश दिए हैं। एनसीईआरटी की ओर से किए गए बदलावों वाली नई किताबों में कंटेंट कम कर दिया गया है और एक्टिविटीज बढ़ा दी गई हैं।
किताबों में प्रैक्टिकल प्रेजेंटेशन का ज्यादा इस्तेमाल किया गया है, ताकि छात्र आसानी से विषय को समझ सकें। बोर्ड का फोकस गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर है। ऐसे में आने वाले सालों में किताबों के प्रारूप में बदलाव संभव है।
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