GST on Exam Forms: भाजपा सरकार ने युवाओं के सपने को कमाई का जरिया बना लिया है - प्रियंका गांधी

भाजपा युवाओं को नौकरी तो दे नहीं सकती, लेकिन परीक्षा फॉर्म पर 18% जीएसटी वसूल कर युवाओं के जख्मों पर नमक जरूर छिड़क रही है।

अग्निवीर समेत हर सरकारी नौकरी के फॉर्म पर जीएसटी वसूली जा रही है। (स्त्रोत-आधिकारिक एक्स/@priyankagandhi)

Abhay Pratap Singh | December 23, 2024 | 09:41 PM IST

नई दिल्ली: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने आज यानी 23 दिसंबर को आरोप लगाया कि भाजपा की नेतृत्व वाली सरकार ने युवाओं के सपनों को भी कमाई का जरिया बना लिया है। गांधी ने लखनऊ स्थित ‘कल्याण सिंह अतिविशिष्ट कैंसर संस्थान’ में परीक्षा संबंधी आवेदन पत्र पर 18 प्रतिशत की जीएसटी लगाए जाने के संबंध में एक नोट का हवाला दिया।

प्रियंका गांधी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल ‘एक्स’ पर किए गए एक पोस्ट में लिखा, ‘‘भाजपा युवाओं को नौकरी तो दे नहीं सकती, लेकिन परीक्षा फॉर्म पर 18% जीएसटी वसूल कर युवाओं के जख्मों पर नमक जरूर छिड़क रही है। अग्निवीर समेत हर सरकारी नौकरी के फॉर्म पर जीएसटी वसूली जा रही है।”

उन्होंने आगे कहा कि, “फॉर्म भरने के बाद सरकार की विफलता से पेपर लीक हुआ, भ्रष्टाचार हुआ तो युवाओं के ये पैसे डूब जाते हैं। माता-पिता अपना तन-पेट काटकर, पाई-पाई जोड़कर बच्चों को पढ़ाते हैं, तैयारी कराते हैं, लेकिन भाजपा सरकार ने उनके सपनों को भी कमाई का जरिया बना लिया है।”

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‘कल्याण सिंह अतिविशिष्ट कैंसर संस्थान’ में परीक्षा संबंधी आवेदन फॉर्म भरने वाले सामान्य/ ओबीसी/ ईडब्ल्यूएस वर्ग के उम्मीदवारों के लिए आवेदन शुल्क 1,000 रुपये और एससी व एसटी कैटेगरी के तहत आने वाले उम्मीदवारों के लिए आवेदन शुल्क 600 रुपये हैं। इसके अतिरिक्त, सभी वर्ग के उम्मीदवारों को 18% जीएसटी का भी भुगतान करना होगा।

प्रियंका गांधी ने हाल ही ‘एक्स’ पर किए गए एक अन्य पोस्ट में कहा, “यूपी के युवाओं को यहां रोजगार देने की जगह उन्हें युद्धग्रस्त इजराइल भेजने वाले इसे अपनी उपलब्धि बता रहे हैं। उन्हें न तो प्रदेश की बेरोजगारी का हाल पता है, न ही उन युवाओं और उनके परिवारों की पीड़ा।”

खबरों के मुताबिक, इजराइल में काम करने गए युवा बंकरों में छुपकर अपनी जान बचा रहे हैं और कंपनियां उनका शोषण कर रही हैं। हमारे होनहार युवा रोजगार के लिए जान जोखिम में डालने को मजबूर हैं क्योंकि आप रोजगार दे ही नहीं सकते। अपने युवाओं को रोजगार के लिए युद्ध क्षेत्र में झोंक देना पीठ थपथपाने की नहीं, बल्कि शर्म की बात है।

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