Technical Education: तकनीकी शिक्षा की सभी शाखाओं में शामिल होगी एआई की पढ़ाई - एआईसीटीई अध्यक्ष

Press Trust of India | June 6, 2025 | 09:29 PM IST | 2 mins read

एआईसीटीई के आदर्श पाठ्यक्रमों में जरूरी बदलावों के लिए विशेषज्ञों की एक समिति बनाई गई है, जिसकी तीन बैठकें हो चुकी हैं।

एआईसीटीई के अध्यक्ष टीजी सीताराम संसद की परामर्शदात्री समिति की एक बैठक में शामिल होने इंदौर आए थे।। (स्त्रोत-आधिकारिक वेबसाइट)

नई दिल्ली: अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) के एक शीर्ष अधिकारी ने शुक्रवार (6 जून, 2025) को कहा कि तकनीकी शिक्षा की सभी शाखाओं में कृत्रिम मेधा (AI) की पढ़ाई शामिल की जाएगी। आगे कहा कि इसके लिए निकाय के आदर्श पाठ्यक्रमों में विशेषज्ञों की मदद से बदलाव की कवायद जारी है।

एआईसीटीई के अध्यक्ष टीजी सीताराम ने इंदौर में ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया,‘‘एआईसीटीई ने एआई और डेटा साइंस विषय में बीटेक पाठ्यक्रम 2017 में ही शुरू कर दिया था, लेकिन अब हम तकनीकी शिक्षा की सभी शाखाओं के आदर्श पाठ्यक्रमों में एआई की पढ़ाई जोड़ने जा रहे हैं। इनमें इंजीनियरिंग और सूचना प्रौद्योगिकी के साथ ही प्रबंधन के अलग-अलग पाठ्यक्रम शामिल हैं।’’

उन्होंने बताया कि एआईसीटीई के आदर्श पाठ्यक्रमों में जरूरी बदलावों के लिए विशेषज्ञों की एक समिति बनाई गई है जिसकी तीन बैठकें हो चुकी हैं। सीताराम ने कहा,‘‘मैं उम्मीद करता हूं कि अगले एक महीने में यह समिति मुझे इस बारे में अपनी सिफारिशें सौंप देगी कि हम तकनीकी शिक्षा की सभी शाखाओं के आदर्श पाठ्यक्रमों में एआई की पढ़ाई किस तरह जोड़ सकते हैं। इसके दो महीने बाद हम नए आदर्श पाठ्यक्रम तैयार कर लेंगे।’’

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उन्होंने कहा कि एआईसीटीई के नए आदर्श पाठ्यक्रमों के आधार पर अगले साल से पढ़ाई शुरू हो सकती है। सीताराम ने यह भी बताया कि एआईसीटीई ने 12 भारतीय भाषाओं में करीब 1,000 पाठ्यपुस्तकें तैयार करके इन्हें इंटरनेट पर डाल दिया है जिन्हें पिछले दो साल के भीतर सात लाख बार डाउनलोड किया गया है।

उन्होंने बताया कि देश के 54 तकनीकी शिक्षा संस्थान 12 भारतीय भाषाओं में अलग-अलग पाठ्यक्रम संचालित कर रहे हैं। एआईसीटीई अध्यक्ष, संसद की परामर्शदात्री समिति की एक बैठक में शामिल होने इंदौर आए थे। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की अध्यक्षता में आयोजित बैठक विद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों में भारतीय भाषाओं के जरिये शिक्षा को बढ़ावा देने पर केंद्रित थी।

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