हाईकोर्ट ने 2 अप्रैल को मामले की सुनवाई करते हुए 6 सप्ताह के भीतर बीएड धारकों को सहायक अध्यापक पद से हटाने का आदेश दिया था।
Santosh Kumar | September 5, 2024 | 03:18 PM IST
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (5 सितंबर) को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा, जिसमें प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक के तौर पर बीएड डिग्रीधारकों की नियुक्ति रद्द कर दी गई थी। कोर्ट ने दोहराया कि प्राथमिक शिक्षक बनने के लिए जरूरी योग्यता डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन (डीएलएड) है, बीएड नहीं। इस फैसले के तहत अब छत्तीसगढ़ के प्राथमिक स्कूलों में 6285 बी.एड डिग्रीधारकों की नियुक्ति रद्द हो जाएगी।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, यह फैसला न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने सुनाया। उन्होंने बीएड डिग्रीधारकों की प्राथमिक विद्यालयों में टीचर पदों के लिए अयोग्यता को चुनौती देने वाली कई विशेष अनुमति याचिकाओं (एसएलपी) को खारिज कर दिया।
यह मामला राजस्थान उच्च न्यायालय के 25 नवंबर, 2021 के फैसले से उत्पन्न हुआ, जिसमें कहा गया था कि प्राथमिक विद्यालयों (कक्षा 1 से 5) में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए आवश्यक योग्यता प्रारंभिक शिक्षा में डिप्लोमा (डी.एल.एड.) है न कि बीएड।
इस फैसले को चुनौती दी गई, जिसके बाद 11 अगस्त, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने देवेश शर्मा बनाम भारत संघ मामले में राजस्थान उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा। कोर्ट ने 2018 की एनसीटीई अधिसूचना को रद्द कर दिया, जो बीएड धारकों को प्राथमिक स्कूल टीचर के लिए पात्र मानती थी।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से कई बीएड अभ्यर्थी प्रभावित हुए हैं, जिन्हें पहले की अधिसूचना के आधार पर प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था। हालांकि, कोर्ट ने तब स्पष्ट किया था कि यह फैसला भविष्य में भी लागू रहेगा और 11 अगस्त, 2023 से पहले की गई नियुक्तियों को सुरक्षित रखेगा।
बता दें कि छत्तीसगढ़ के शिक्षा विभाग ने 2023 में 12 हजार 489 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था, जिसमें से 6285 पद सहायक अध्यापक के थे। सहायक अध्यापक की योग्यता को लेकर मामला लंबित था। इसी बीच राज्य सरकार ने शर्तों के आधार पर बीएड धारकों को भी सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्त कर दिया। इसके खिलाफ डिप्लोमा धारकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
डिप्लोमा धारकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद बीएड धारकों को सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्त किया गया है, जो अवैध है। सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त को अपना फैसला सुनाया था, लेकिन विभाग ने पहला नियुक्ति पत्र 20 सितंबर 2023 के बाद दिया।
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि सहायक अध्यापक पद पर सिर्फ डिप्लोमा धारक ही हकदार हैं। हाईकोर्ट ने 2 अप्रैल को मामले की सुनवाई करते हुए 6 सप्ताह के भीतर बीएड धारकों को सहायक अध्यापक पद से हटाने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को बरकरार रखा है।