Press Trust of India | November 4, 2025 | 09:31 PM IST | 1 min read
पंजाब विश्वविद्यालय अधिनियम, 1947 में संशोधन के बाद अधिसूचना जारी की गई है, जिसके तहत सीनेट के सदस्यों की संख्या घटाकर 31 कर दी गई है।

चंडीगढ़: पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने पंजाब विश्वविद्यालय (PU) की ‘सीनेट’ और ‘सिंडिकेट’ के पुनर्गठन के मुद्दे पर भाजपा नीत केंद्र सरकार की आलोचना की। पूर्व सीएम चन्नी ने आरोप लगाया कि “भाजपा व आरएसएस इस विश्वविद्यालय को सुनियोजित तरीके से खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं।”
चन्नी 28 अक्टूबर की अधिसूचना के जरिये पंजाब विश्वविद्यालय की सीनेट और सिंडिकेट के पुनर्गठन को लेकर केंद्र सरकार के हालिया कदम के खिलाफ जारी पीयू के छात्रों के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए।
पंजाब विश्वविद्यालय अधिनियम, 1947 में संशोधन के बाद अधिसूचना जारी की गई है, जिसके तहत सीनेट के सदस्यों की संख्या घटाकर 31 कर दी गई है।
इसके अलावा कार्यकारी निकाय सिंडिकेट के लिए चुनाव का प्रावधान और सीनेट के स्नातक निर्वाचन क्षेत्र को खत्म कर दिया गया। छात्र विरोध प्रदर्शन न करने संबंधी हलफनामा देने के संबंध में इस साल जून में जारी पीयू के आदेश को वापस लेने की भी मांग कर रहे हैं।
प्रदर्शनकारी छात्रों ने इसे “अलोकतांत्रिक” बताते हुए दावा किया है कि हलफनामे में छात्रों को यह घोषणा करनी होगी कि वे विश्वविद्यालय में विरोध प्रदर्शनों में भाग नहीं लेंगे।
पंजाब विश्वविद्यालय कैंपस छात्र परिषद के महासचिव अभिषेक डागर हलफनामे के मुद्दे पर भूख हड़ताल पर हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चन्नी ने मीडिया से बात करते हुए पीयू के शासी निकायों के पुनर्गठन के लिए भाजपा नीत केंद्र सरकार पर निशाना साधा।
उन्होंने कहा, “यह लोकतंत्र की हत्या है।” चन्नी ने कहा, “भाजपा और आरएसएस विश्वविद्यालय को व्यवस्थित तरीके से खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं।”
चन्नी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने विश्वविद्यालय को "पूरी तरह से नियंत्रित" कर लिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सीनेटरों की संख्या 91 से घटाकर 31 कर दी गई है। चन्नी ने कहा, "हम इसका डटकर मुकाबला करेंगे।"