राष्ट्रपति ने कहा कि शैक्षणिक संस्थान राष्ट्र के भविष्य को आकार देते हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रमुख एक विकसित भारत के निर्माताओं की एक पीढ़ी तैयार करेंगे।
Abhay Pratap Singh | March 3, 2025 | 09:52 PM IST
नई दिल्ली: भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज यानी 3 मार्च को राष्ट्रपति भवन में दो दिवसीय विजिटर कॉन्फ्रेंस 2024-25 का उद्घाटन किया। राष्ट्रपति ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि, किसी भी देश के विकास का स्तर उसकी शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता से झलकता है। भारत की राष्ट्रपति 184 केंद्रीय उच्च शिक्षा संस्थानों की विजिटर हैं।
पीआईबी के अनुसार, उन्होंने कहा कि भारत को ज्ञान अर्थव्यवस्था के केंद्र के रूप में स्थापित करने में संस्थानों के प्रमुखों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने शिक्षा के साथ-साथ शोध पर भी बहुत ध्यान देने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत सरकार ने बहुत अच्छे उद्देश्य से राष्ट्रीय अनुसंधान कोष की स्थापना की है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि, “हमारे उच्च शिक्षा समुदाय की महत्वाकांक्षा यह होनी चाहिए कि हमारे संस्थानों के शोधकर्ताओं को विश्व स्तर पर मान्यता मिले, हमारे संस्थानों के पेटेंट दुनिया में बदलाव ला सकें और विकसित देशों के छात्र उच्च शिक्षा के लिए भारत को पसंदीदा स्थान के रूप में चुनें।”
उन्होंने कहा कि भारत के छात्र अपनी प्रतिभा से दुनिया के शैक्षणिक संस्थानों और विकसित अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत करते हैं। आगे कहा कि भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति के रूप में स्थापित करने का हमारा राष्ट्रीय लक्ष्य तभी प्राप्त होगा जब विश्व समुदाय हमारी प्रयोगशालाओं में किए जा रहे कार्यों को अपनाने के लिए उत्सुक होगा।
पीआईबी के बयान में कहा गया है, “उच्च शिक्षा प्राप्त करने में किसी भी तरह की कोई आर्थिक, सामाजिक या मनोवैज्ञानिक सीमा बाधा नहीं बननी चाहिए। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा संस्थानों के प्रमुखों और शिक्षकों को युवा छात्रों का ध्यान रखना चाहिए, उनके मन से किसी भी तरह की असुरक्षा को दूर करना चाहिए और उन्हें नैतिक और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करनी चाहिए।”
उद्घाटन सत्र के दौरान राष्ट्रपति ने नवाचार, अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास की श्रेणियों में 8वें विजिटर पुरस्कार प्रदान किए:
पीआईबी के बयान के अनुसार, कल शैक्षणिक पाठ्यक्रमों में लचीलापन, क्रेडिट शेयरिंग, क्रेडिट ट्रांसफर; अंतरराष्ट्रीयकरण के प्रयास और सहयोग; अनुवाद अनुसंधान और नवाचार; छात्र चयन प्रक्रिया आदि मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। इन विचार-विमर्शों के परिणाम सम्मेलन के समापन सत्र में राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किए जाएंगे।