एनआईटी राउरकेला के इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर संतोष कुमार दास के मार्गदर्शन में शोध टीम ने एक इंटेलिजेंट व्हीकल डिटेक्शन (आईवीडी) सिस्टम का उपयोग किया है, जो कंप्यूटर विजन की मदद से इमेज और वीडियो द्वारा वाहनों की पहचान करने में सक्षम है।
Saurabh Pandey | January 24, 2025 | 06:26 PM IST
नई दिल्ली : देश में बढ़ती ट्रैफिक की समस्या और चुनौतियों के मद्देनजर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी राउरकेला (एनआईटी राउरकेला) के शोधकर्ताओं ने एक मल्टी-क्लास व्हीकल डिटेक्शन (एमसीवीडी) मॉडल और लाइट फ्यूजन बाय-डायरेक्शनल फीचर पिरामिड नेटवर्क (एलएफबीएफपीएन) टूल विकसित किया है, जिसका उद्देश्य विकासशील देशों में ट्रैफिक प्रबंधन में सुधार करना है।
एनआईटी राउरकेला के इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर संतोष कुमार दास के मार्गदर्शन में शोध टीम ने एक इंटेलिजेंट व्हीकल डिटेक्शन (आईवीडी) सिस्टम का उपयोग किया है, जो कंप्यूटर विजन की मदद से इमेज और वीडियो द्वारा वाहनों की पहचान करने में सक्षम है। इस प्रणाली से रियल-टाइम ट्रैफिक डेटा एकत्रित कर ट्रैफिक के प्रवाह को संगठित करने, जाम नियंत्रण और भावी सड़क नियोजन में सहायता मिलेगी।
इस शोध के निष्कर्ष बतौर शोधपत्र प्रतिष्ठित जर्नल आईईईई ट्रांजेक्शन्स ऑन इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम में प्रकाशित किए गए हैं जिसे डॉ. संतोष कुमार दास ने अपने शोधार्थियों प्रशांत देशमुख, कृष्ण चैतन्य रायसम, विभाग के प्रो. उपेन्द्र कुमार साहू और आईआईएससी बेंगलुरु के प्रो. सुधन मांझी के साथ लिखा है।
आईवीडी सिस्टम विकसित देशों में अच्छा काम करते हैं, क्योंकि वहां ट्रैफिक सुनियोजित हैं। लेकिन विकासशील देशों में चूंकि मिक्स्ड ट्रैफिक है, इसलिए कुछ चुनौतियां बनी हुई हैं। भारत जैसे देशों में कारों और ट्रकों से लेकर साइकिल, रिक्शा, पशु-गाड़ियों, और तमाम वाहनों के साथ-साथ पैदल यात्री भी एक दूसरे के नजदीक से गुजरते हैं। इस वजह से वाहनों की सटीक पहचान करना कठिन होता है।
आईवीडी के आम सिस्टम में रेडार और लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग (एलआईडीएआर) जैसे सेंसर सिस्टम होते हैं, जो नियंत्रित परिस्थिति में तो कारगर हैं, लेकिन धूल या बारिश जैसी प्रतिकूल स्थितियों में चुनौतियों से घिर जाते हैं। इतना ही नहीं यह सिस्टम महंगा भी पड़ता है। हालांकि वीडियो-आधारित सिस्टम से खास कर भारत में काफी उम्मीदें हैं, लेकिन वीडियो प्रोसेसिंग की आम तकनीक ट्रैफिक की रफ्तार में सही काम नहीं करती है और इसके लिए काफी कम्प्यूटेशनल पावर की जरूरत है।
डीप लर्निंग (डीएल) मॉडल एक तरह का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) है। इसलिए मौजूदा डेटा से सीख कर वीडियो फीड में वाहनों की पहचान करने में अधिक कारगर है। ये मॉडल कन्वोल्यूशनल न्यूरल नेटवर्क (सीएनएन) की मदद से ट्रैफिक इमेज की पहचान और उनका विश्लेषण करते हैं। हालांकि वाहनों के आकार और एंगल अलग-अलग होने की वजह से ये अक्सर वाहनों की सटीक पहचान करने में नाकाम होते हैं। यह चुनौती खास कर जब अधिक और मिक्स्ड ट्रैफिक हो बढ़ जाती है। ऐसी जटिल स्थितियों के लिए डिजाइन किए गए लेबल्ड डेटासेट की भी कमी है।
एनआईटी राउरकेला में इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार इंजीनियरिंग विभाग के निदेशक प्रो. संतोष कुमार दास, एसोसिएट प्रोफेसर, ने मॉडल के पीछे के इनोवेशन के बारे में बताया कि एलएफबीएफपीएन इसलिए यूनिक है, क्योंकि यह एक सरल विधि अपना कर इस मॉडल की जटिलता कम करता है और इसकी एक्युरेसी में भी कमी नहीं आने देता है। इसके बाद यह सिस्टम एक अन्य टूल - मॉडिफाइड व्हीकल डिटेक्शन हेड (एमवीडीएच) के माध्यम से विवरणों को प्रोसेस करता है। इससे हर तरह के ट्रैफिक में वाहनों की सटीक पहचान और उनका वर्गीकरण करना आसान होता है।