बागडे ने कहा कि शिक्षा पाठ्यपुस्तकों का अध्ययन ही नहीं है बल्कि यह व्यक्ति को मानवीय मूल्यों से ओतप्रोत करने का मार्ग भी है।
Press Trust of India | December 18, 2024 | 04:41 PM IST
नई दिल्ली: राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को प्रभावी ढंग से लागू करने की जरूरत बताते हुए बुधवार को कहा कि यह नीति ऐसी है, जिससे भारत आने वाले समय में वैश्विक ज्ञान में महाशक्ति बन सकेगा। बागडे बुधवार को राजस्थान विश्वविद्यालय, आयुक्तालय कॉलेज शिक्षा, राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि यह शिक्षा नीति नैतिक मूल्यों से मनुष्य को जोड़ने वाली है। उन्होंने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को प्रभावी रूप में लागू करने और शिक्षकों को इसमें अपना महती भागीदारी निभाने का आह्वान किया। राजभवन के बयान के अनुसार बागडे ने कहा कि शिक्षा पाठ्यपुस्तकों का अध्ययन ही नहीं है बल्कि यह व्यक्ति को मानवीय मूल्यों से ओतप्रोत करने का मार्ग भी है।
उन्होंने पंडित दीनदयाल उपाध्याय की चर्चा करते हुए कहा कि वह सदा व्यक्ति नहीं समग्र पर जोर देते थे और नई शिक्षा नीति इसी दृष्टिकोण से जुड़ी है। राज्यपाल ने कहा कि नई शिक्षा नीति में मानव मूल्यों को ही प्राथमिकता दी गई है। उन्होंने कहा कि शिक्षक नए से नए ज्ञान से अपने को जोड़े रखेगा तभी विद्यार्थी की बौद्धिक क्षमता का निर्माण कर पाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘मैकाले ने भारतीय शिक्षा नीति को पूरी तरह से पश्चिमीकरण करने का प्रयास किया। देश में शिक्षा आयोग और नीतियां बनी लेकिन हम पश्चिम की सोच से मुक्त नहीं हुए।’’ आगे कहा कि शिक्षा में मातृभाषा और जीवन व्यवहार की शिक्षा जरूरी है और नई शिक्षा नीति इसी से जुड़ी है। देश में पाश्चात्य शिक्षा प्रणाली की शुरुआत लॉर्ड मैकाले ने की थी।
उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने नई शिक्षा नीति को प्राचीन भारत की समृद्ध ज्ञान परंपरा से जुड़ा बताते हुए कहा कि दशकों तक शिक्षा में जड़ता रही है। उन्होंने कहा कि रटने पर ही शिक्षा में जोर दिया जाता रहा है लेकिन नई शिक्षा नीति समता आधारित समाज निर्माण के साथ समावेशी दृष्टिकोण के जरिये समस्या समाधान कौशल को बढ़ावा देने वाली है।
राजभवन राजस्थान ने अपने ‘एक्स’ हैंडल पर लिखा, “राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने राष्ट्रीय कार्यशाला “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020” में अपने संबोधन में कहा कि यह नीति ऐसी है, जिससे भारत आने वाले समय में वैश्विक ज्ञान में महाशक्ति बन सकेगा। यह शिक्षा नीति नैतिक मूल्यों से मनुष्य को जोड़ने वाली है। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री डा. प्रेमचंद बैरवा भी उपस्थित थे।”