केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल ने पीठ को बताया कि केंद्र द्वारा नियुक्त समिति की सभी सिफारिशें सरकार द्वारा लागू की जाएंगी।
Press Trust of India | January 2, 2025 | 05:31 PM IST
नई दिल्ली: केंद्र ने गुरुवार (2 जनवरी) को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह पिछले साल नीट यूजी आयोजित करने में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) के कामकाज की समीक्षा के बाद परीक्षा सुधारों पर अपनी 7 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति द्वारा सुझाए गए सभी सुधारात्मक उपायों को लागू करेगा।
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ को बताया कि केंद्र द्वारा नियुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है और सरकार सभी सिफारिशों को लागू करेगी।
विधि अधिकारी ने कहा, ‘‘हम सभी सिफारिशों को लागू करने जा रहे हैं और इसे (मामले को) 6 महीने बाद सूचीबद्ध किया जा सकता है।’’ इस पर पीठ ने कहा, ‘‘मामले की सुनवाई अब 3 महीने के लिए स्थगित की जाती है।
अदालत ने विशेष अनुमति याचिका को अप्रैल माह में सूचीबद्ध करने को कहा है। पूरी रिपोर्ट रिकॉर्ड में नहीं रखी गई है क्योंकि इसमें नीट यूजी प्रश्नों की छपाई आदि जैसे मुद्दों के बारे में भी कुछ विवरण शामिल थे।
21 अक्टूबर, 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने परीक्षा सुधारों पर रिपोर्ट दाखिल करने के लिए केंद्र की विशेषज्ञ समिति के लिए समय सीमा बढ़ा दी थी। नीट यूजी का आयोजन एनटीए द्वारा स्नातक मेडिकल प्रवेश के लिए किया जाता है।
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अदालत ने एनटीए के कामकाज की समीक्षा करने और नीट-यूजी को पारदर्शी और कदाचार मुक्त बनाने के लिए सुधारों की सिफारिश करने के लिए के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता वाली 7 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का विस्तार किया।
पीठ ने कहा कि समिति के कार्यक्षेत्र में परीक्षा सुरक्षा, डेटा सुरक्षा और तकनीकी सुधार भी शामिल होने चाहिए। इसके अलावा समिति को नीति निर्माण, छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रदान करने और एनटीए कर्मचारियों के प्रशिक्षण पर भी सिफारिशें करनी होंगी।
बता दें कि शीर्ष अदालत ने 2 अगस्त 2024 को नीट यूजी परीक्षा रद्द करने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि परीक्षा की पवित्रता को लेकर ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जो कदाचार या लीक का संकेत देता हो।
2024 में नीट यूजी के लिए 23 लाख से अधिक छात्र उपस्थित हुए थे। नवंबर में, शीर्ष अदालत ने अपने 2 अगस्त के फैसले की समीक्षा की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया और फिर से परीक्षा आयोजित करने से इनकार कर दिया।