NCPCR का निर्देश, त्योहारों के दौरान राखी, तिलक या मेहंदी लगाने पर छात्रों को दंडित न करें स्कूल

एनसीपीसीआर ने कहा, "स्कूलों में ऐसी कोई प्रथा नहीं अपनाई जानी चाहिए जिससे बच्चों को शारीरिक दंड मिले या उनके साथ भेदभाव हो।"

आयोग ने कहा है कि स्कूलों में शारीरिक दंड देना आरटीई अधिनियम की धारा 17 का सीधा उल्लंघन है। (प्रतीकात्मक-फ्रीपिक)

Press Trust of India | August 8, 2024 | 08:56 PM IST

नई दिल्ली: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है। इस निर्देश में स्कूलों से त्योहारों के दौरान बच्चों को शारीरिक दंड और भेदभाव से बचाने का आग्रह किया गया है।

एनसीपीसीआर ने यह कदम रक्षा बंधन जैसे त्योहारों के दौरान राखी, तिलक या मेहंदी लगाने जैसी सांस्कृतिक और धार्मिक प्रथाओं को लेकर छात्रों को परेशान करने की कई रिपोर्टों के बाद उठाया है। आयोग ने सभी स्कूलों से इस मामले में तुरंत कार्रवाई करने और बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने की अपील की है।

एनसीपीसीआर के चेयरमैन प्रियांक कानूनगो ने देशभर के स्कूली शिक्षा विभागों के प्रधान सचिवों को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने आगामी त्योहारों के दौरान बच्चों की सुरक्षा के लिए बाल संरक्षण कानूनों का सख्ती से पालन करने पर जोर दिया है।

एनसीपीसीआर ने कहा, "यह देखा गया है कि स्कूल बच्चों को रक्षाबंधन के त्यौहार के दौरान राखी, तिलक या मेहंदी लगाने की अनुमति नहीं देते हैं और उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से परेशान करते हैं। यह उल्लेखनीय है कि आरटीई अधिनियम, 2009 की धारा 17 के तहत स्कूलों में शारीरिक दंड प्रतिबंधित है।"

सर्वोच्च बाल अधिकार संस्था ने कहा, "स्कूलों में ऐसी कोई प्रथा नहीं अपनाई जानी चाहिए, जिससे बच्चों को शारीरिक दंड मिले या उनके साथ भेदभाव हो।" आयोग ने कहा है कि स्कूलों में शारीरिक दंड देना आरटीई अधिनियम की धारा 17 का सीधा उल्लंघन है।

एनसीपीसीआर के चेयरमैन प्रियांक ने पत्र में कहा है कि आगामी त्योहारों को ध्यान में रखते हुए सभी अधिकारी निर्देश जारी करें ताकि स्कूलों में बच्चों को किसी तरह की सजा या भेदभाव का सामना न करना पड़े। उन्होंने यह भी कहा कि इस संबंध में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट संबंधित आदेशों की प्रतियों के साथ 17 अगस्त तक आयोग को भेजें।

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