एनईपी 2020 में सिफारिश की गई थी कि जहां भी संभव हो कम से कम कक्षा 5 तक शिक्षा का माध्यम घरेलू भाषा, मातृभाषा, स्थानीय भाषा या क्षेत्र की भाषा होनी चाहिए।
Abhay Pratap Singh | June 19, 2024 | 08:48 AM IST
नई दिल्ली: एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी ने कहा कि अभिभावक अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के प्रति आकर्षित हैं, जबकि उनमें से ज्यादातर स्कूलों में प्रशिक्षित शिक्षक नहीं हैं। उन्होंने आगे कहा कि यह ‘आत्महत्या से कम नहीं’ है, क्योंकि सरकारी स्कूल अब गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के प्रमुख ने कहा कि अंग्रेजी में विषय-वस्तु को रटने की प्रथा से बच्चों में ज्ञान की हानि हुई है तथा वे अपनी संस्कृति से दूर हो गए हैं। जिस वजह से नई (राष्ट्रीय) शिक्षा नीति में मातृभाषा में पढ़ाने पर जोर दिया गया है।
एनसीईआरटी प्रमुख ने मीडिया संस्थान से बातचीत करते हुए कहा कि, “शिक्षा मातृभाषा पर आधारित क्यों होना चाहिए? क्योंकि जब तक हम अपनी माँ, अपनी जड़ों को नहीं समझेंगे, हम कुछ भी कैसे समझेंगे? और बहुभाषी का मतलब यह नहीं है कि किसी भी भाषा में शिक्षण समाप्त हो रहा है, जबकि हमारा लक्ष्य कई भाषाएं सीखना है।”
एनसीईआरटी प्रमुख ने ओडिशा की दो आदिवासी भाषाओं में पुस्तकें उपलब्ध कराने के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्री की पहल का हवाला देते हुए कहा कि छात्रों को स्थानीय प्रकृति और संस्कृति पर आधारित चित्रों, कहानियों और गीतों की मदद से पढ़ाने पर उनके बोलने के कौशल, सीखने के परिणाम और संज्ञानात्मक विकास में सुधार होगा।
उन्होंने कहा कि, “हम अब 121 भाषाओं में प्राइमर विकसित कर रहे हैं जो इस साल तैयार हो जाएंगे और स्कूल जाने वाले बच्चों को उनकी जड़ों से जोड़ने में मदद करेंगे। भाषा को सक्षम बनाने वाला कारक होना चाहिए, बहुभाषी शिक्षा के माध्यम से हम खुद को सक्षम बनाने की कोशिश कर रहे हैं।”
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 में सिफारिश की गई थी कि जहां भी संभव हो, कम से कम ग्रेड 5 तक शिक्षा का माध्यम घरेलू भाषा, मातृभाषा, स्थानीय भाषा या क्षेत्र की भाषा होनी चाहिए। एनईपी में कक्षा 8 और उसके बाद तक मातृभाषा में शिक्षा देने की सिफारिश की गई है।