Saurabh Pandey | September 15, 2025 | 12:33 PM IST | 4 mins read
national engineers day 2025 जैसे-जैसे भारत अपने टेकेड (तेज तकनीकी नवाचार और परिवर्तनकारी विकास के दशक) की शुरुआत कर रहा है, इंजीनियरों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण होती जा रही है।
नई दिल्ली : देश भर में 15 सितंबर को इंजीनियर्स दिवस मनाया जाता है। यह देश के सबसे सम्मानित इंजीनियरों में से एक, सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन इंजीनियरिंग और राष्ट्र निर्माण में उनकी विरासत और योगदान को याद किया जाता है।
इंजीनियर भारत के परिवर्तन की प्रेरक शक्ति हैं, जो देश के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को आकार देते हैं और ज्ञान-आधारित इनोवेशन का नेतृत्व करते हैं। महत्वपूर्ण बांधों, सड़कों और इमारतों के निर्माण से लेकर डिजिटल परिवर्तन को आगे बढ़ाने तक, वे एक आधुनिक राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
पीएम मोदी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर लिखा- आज, इंजीनियर्स दिवस पर, मैं सर एम. विश्वेश्वरैया को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, जिनकी प्रतिभा ने भारत के इंजीनियरिंग परिदृश्य पर अमिट छाप छोड़ी है। मैं उन सभी इंजीनियरों को हार्दिक बधाई देता हूं जो अपनी रचनात्मकता और दृढ़ संकल्प के माध्यम से नवाचार को आगे बढ़ा रहे हैं और विभिन्न क्षेत्रों में कठिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। हमारे इंजीनियर एक विकसित भारत के निर्माण के सामूहिक प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहेंगे।
यह दिवस राष्ट्र निर्माण और तकनीकी डेवलपमेंट में इंजीनियरों की महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देता है। इंजीनियर्स डे 2025 का विषय " डीप टेक एंड इंजीनियरिंग एक्सीलेंसः ड्राइविंग इंडियाज टेकएड " है।
भारत अपने टेकेड (तेज तकनीकी नवाचार और परिवर्तनकारी विकास के दशक) की जैसे-जैसे शुरुआत कर रहा है, इंजीनियरों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण होती जा रही है। कुशल इंजीनियरिंग स्नातकों की बढ़ती संख्या शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने में सरकारी पहलों की सफलता को दर्शाती है, जिससे भारत वैश्विक तकनीकी परिदृश्य में अग्रणी स्थान प्राप्त कर सकेगा।
ये प्रयास विकसित भारत 2047 के विजन को साकार करने के लिए महत्वपूर्ण हैं, जहां भारत एक विकसित, तकनीकी रूप से उन्नत और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनेगा।
सर एम. विश्वेश्वरैया मैसूर के दीवान और अखिल भारतीय निर्माता संगठन के अध्यक्ष के रूप में सेवा करने के लिए आगे बढ़े। वर्ष 1955 में भारत रत्न से सम्मानित, उनके दूरदर्शी विचार आज भी आर्थिक योजनाकारों का मार्गदर्शन करते हैं। उनका जीवन एक चिरस्थायी प्रेरणा बना हुआ है, जिसने उन्हें भारत के इतिहास में एक महान व्यक्ति के रूप में स्थापित किया है।
1. इनोवेटिव बाढ़ प्रबंधन प्रणालियां - वर्ष 1908 की मूसी नदी की बाढ़ के बाद सर एम. विश्वेश्वरैया ने उस्मान सागर और हिमायत सागर जैसे जलाशयों का डिजाइन तैयार किया और व्यवस्थित बाढ़ नियंत्रण समाधान प्रस्तावित किए। उन्होंने विशाखापत्तनम बंदरगाह को समुद्री कटाव से बचाने के उपाय भी लागू किए, जिससे शहरी लचीलापन बढ़ा। आज, उनके जलाशय-आधारित बाढ़ प्रबंधन सिद्धांत आधुनिक जल और आपदा प्रबंधन परियोजनाओं का मार्गदर्शन करते हैं।
2. बांध निर्माण और सिंचाई में अग्रणी मैसूर के मुख्य अभियंता के रूप में सर एम. विश्वेश्वरैया ने 1932 में कृष्ण राज सागर (केआरएस) बांध का निर्माण किया, जिससे एशिया का सबसे बड़ा जलाशय बना और मांड्या की कृषि में क्रांतिकारी बदलाव आया। उनके स्वचालित जलद्वारों ने कई बांधों में जल नियमन में सुधार किया और उन्होंने सिंचाई और जलविद्युत परियोजनाओं को आगे बढ़ाया। ये इनोवेशन आधुनिक बांध डिजाइन और जल प्रबंधन को प्रभावित करते रहे हैं।
3. प्रभावशाली साहित्यिक कृतियां सर एम. विश्वेश्वरैया के लेखन का भारत के विकास पर अमिट प्रभाव पड़ा है। "प्लांड इकोनॉमी फॉर इंडिया" ने औद्योगीकरण और बुनियादी ढांचे को बढ़ावा दिया, "रीकंस्ट्रक्टिंग इंडिया" ने शिक्षा और शासन पर जोर दिया और "मेमोयर्स ऑफ माई वर्किंग लाइफ" ने उनकी इंजीनियरिंग उपलब्धियों का वृत्तांत प्रस्तुत किया। ये रचनाएं आज भी आधुनिक आर्थिक और इंजीनियरिंग रणनीतियों का मार्गदर्शन करती हैं।
भारत में इंजीनियर्स दिवस 15 सितंबर को सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जो भारतीय इतिहास के महानतम इंजीनियरों और दूरदर्शी लोगों में से एक थे। 15 सितंबर 1861 को कर्नाटक के मुद्देनहल्ली में जन्मे सर एम. विश्वेश्वरैया ने सिंचाई, बाढ़ प्रबंधन और बुनियादी ढांचे के विकास के क्षेत्र में योगदान दिया। उन्होंने 1912 से 1918 तक मैसूर के दीवान के रूप में भी कार्य किया और नए उद्योगों, शैक्षणिक संस्थानों और सार्वजनिक कार्यों के साथ राज्य के आधुनिकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उनके समर्पण और इंजीनियरिंग प्रतिभा ने उन्हें 1955 में भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, भारत रत्न से सम्मानित किया। आज, उनका जन्मदिन न केवल उनकी विरासत का सम्मान करने के लिए, बल्कि भावी पीढ़ियों के इंजीनियरों को उनके नवाचार, अनुशासन और राष्ट्र सेवा के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करने के लिए भी याद किया जाता है।
इन पदों में जूनियर इंजीनियर (जेई), मल्टी-टास्किंग स्टाफ (एमटीएस), पटवारी, असिस्टेंट सेक्शन ऑफिसर, असिस्टेंट एग्जीक्यूटिव इंजीनियर (एईई), स्टेनोग्राफर, डिप्टी डायरेक्टर, असिस्टेंट डायरेक्टर, लीगल असिस्टेंट और अन्य शामिल हैं।
Santosh Kumar