आईआईटी मद्रास के निदेशक कामकोटी ने कहा, "हमारे पूर्व छात्र दशकों बाद भी अपने संस्थान को याद करते हैं। कृष्णा चिवुकुला के महान योगदान से आने वाली कई पीढ़ियां लाभान्वित होंगी।"
Santosh Kumar | August 6, 2024 | 06:05 PM IST
नई दिल्ली: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (आईआईटी मद्रास) को अपने पूर्व छात्र डॉ. कृष्णा चिवुकुला से 228 करोड़ रुपये का सबसे बड़ा एकल दान मिला है। यह दान भारत में किसी भी शैक्षणिक संस्थान को दिया गया अब तक का सबसे बड़ा दान है। डॉ. कृष्णा चिवुकुला ने 1970 में आईआईटी मद्रास से जेट प्रोपल्शन में एम.टेक (एयरोस्पेस इंजीनियरिंग) की डिग्री प्राप्त की थी।
संस्थान ने परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कृष्ण चिवुकुला के सम्मान में एक शैक्षणिक ब्लॉक का नाम 'कृष्ण चिवुकुला ब्लॉक' रखा। इस अवसर पर डॉ. चिवुकुला, आईआईटी मद्रास के निदेशक वी. कामकोटि, आईआईटी मद्रास के डीन (पूर्व छात्र और कॉर्पोरेट संबंध) प्रो. महेश पंचाग्नुला, आईआईटी मद्रास के संस्थागत उन्नति कार्यालय के सीईओ कविराज नायर, संकाय, शोधकर्ता, कर्मचारी और छात्र उपस्थित थे।
आईआईटी मद्रास के निदेशक कामकोटी ने कहा, "हमारे पूर्व छात्र दशकों बाद भी अपने संस्थान को याद करते हैं। कृष्णा चिवुकुला के महान योगदान से आने वाली कई पीढ़ियां लाभान्वित होंगी।" वहीं कृष्णा चिवुकुला ने कहा, "आईआईटी मद्रास में मेरी शिक्षा न केवल यादगार थी, बल्कि इसने मुझे जीवन में बहुत कुछ हासिल करने में भी मदद की। अब मैं संस्थान को भारत में किसी विश्वविद्यालय को दिया गया अब तक का सबसे बड़ा दान दे सकता हूँ।"
उन्होंने आगे कहा कि दान का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाएगा, जैसे छात्रवृत्ति, शोध अनुदान, एक नया यूजी फेलोशिप कार्यक्रम, खेल छात्रवृत्ति, शास्त्र पत्रिका का विकास और कृष्णा चिवुकुला ब्लॉक का रखरखाव। यह दान अंतरराष्ट्रीय छात्रों की मदद करने में भी उपयोगी होगा।
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कृष्णा चिवुकुला इंडो यूएस एमआईएम टेक कंपनी के संस्थापक हैं। उन्होंने 1997 में भारत में 'मेटल इंजेक्शन मोल्डिंग (एमआईएम)' तकनीक शुरू की, जो उस समय अमेरिका में एक नई तकनीक थी। उनकी कंपनी इस तकनीक में दुनिया की सबसे प्रमुख कंपनी में से एक है, और इसका कारोबार लगभग 1,000 करोड़ रुपये है।
आईआईटी मद्रास ने डॉ. चिवुकुला को उनकी पेशेवर उत्कृष्टता और योगदान के सम्मान में 2015 में 'विशिष्ट पूर्व छात्र पुरस्कार' से सम्मानित किया। आईआईटी मद्रास के बाद डॉ. चिवुकुला ने 1980 में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए किया।
न्यूयॉर्क में हॉफमैन ग्रुप ऑफ कंपनीज में काम करने के बाद उन्होंने दुनिया की नंबर वन कंपनियों में से एक की स्थापना की। आईआईटी मद्रास ने हाल के वर्षों में 'टेक ड्रिवेन सीएसआर' के क्षेत्र में प्रमुखता हासिल की है, जिसके तहत संस्थान अपने शोध को वास्तविक उत्पादों में बदल रहा है।
2023-24 के दौरान संस्थान ने 513 करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है, जो पिछले साल से 135% ज़्यादा है। 1 करोड़ रुपए से ज़्यादा दान देने वाले दानदाताओं की संख्या 48 है, जिसमें 16 पूर्व छात्र और 32 कॉर्पोरेट पार्टनर शामिल हैं। 2023-24 में सिर्फ पूर्व छात्रों के जरिए 367 करोड़ रुपए जुटाए गए हैं।