यह शोध आईईईई सेंसर्स लेटर्स में निखिल वडेरा, पीएचडी छात्र, आईडीआरपी- स्मार्ट हेल्थकेयर, आईआईटी जोधपुर और डॉ. साक्षी धानेकर, एसोसिएट प्रोफेसर, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी जोधपुर द्वारा प्रकाशित किया गया था।
Saurabh Pandey | February 22, 2024 | 03:19 PM IST
नई दिल्ली : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जोधपुर के शोधकर्ताओं ने धातु ऑक्साइड और नैनो सिलिकॉन पर आधारित पहला मेड इन इंडिया मानव सांस सेंसर विकसित किया है। इसकी मदद से शराब पीकर गाड़ी चलाने वाले लोगों का पता लगाया जा सकेगा। इस डिवाइस की सेंसिंग परतों में कुछ बदलाव और सेंसर की एक श्रृंखला (इलेक्ट्रॉनिक नाक या कृत्रिम नाक के लिए) और डेटा एनालिटिक्स के उपयोग के साथ, यह अस्थमा, मधुमेह केटोएसिडोसिस, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी, रोग, स्लीप एपनिया और कार्डियक अरेस्ट जैसी बीमारियों के लक्षण का पता लगाने के लिए भी बहुत उपयोगी साबित हो सकती है।
मानव स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण पर वायु प्रदूषण के प्रतिकूल प्रभाव के बारे में बढ़ती चिंताओं को देखते हुए, एक त्वरित, किफायती, चीरफाड़हीन (non-invasive) स्वास्थ्य निगरानी उपकरण के विकास की अधिक आवश्यकता थी । मौजूदा सेंसर, ईंधन सेल-आधारित तकनीक (fuel cell-based technology) या मेटल ऑक्साइड तकनीक पर आधारित है । इसलिए इसने शोधकर्ताओं को इस दिशा में काम करने और एक श्वास वीओसी सेंसर विकसित करने के लिए प्रेरित किया, जिसकी लागत मौजूदा ईंधन सेल प्रौद्योगिकी- आधारित डिवाइस से कम है।
इसी तरह, टीम ने आंशिक रूप से कम ग्राफीन ऑक्साइड पर आधारित एक श्वास निगरानी सेंसर विकसित किया है । यह शोध निखिल वडेरा, पीएचडी छात्र, आईडीआरपी- स्मार्ट हेल्थकेयर, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान,जोधपुर, और डॉ. साक्षी धानेकर, एसोसिएट प्रोफेसर विद्युत अभियांत्रिकी विभाग, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान,जोधपुर द्वारा आईईई सेंसर्स लेटर्स (IEEE Sensors Letters) में प्रकाशित किया गया था।
इसी तरह की इलेक्ट्रॉनिक नाक (Electronic Nose) का उपयोग पर्यावरण में वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (VOC) की निगरानी के साथ-साथ सेंसर और मशीन लर्निंग एल्गोरिदम को संशोधित करके बीमारी के लिए अन्य श्वास बायोमार्कर (जैव मार्कर) का पता लगाने और माप के लिए किया जा सकता है। वीओसी (VOC) कार्बनिक रसायनों का एक विविध समूह है जो हवा में वाष्पित हो सकता है और आमतौर पर विभिन्न उत्पादों और वातावरणों में पाए जाते हैं।
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वर्तमान श्वास विश्लेषक या तो भारी हैं या लंबे समय तक तैयारी के समय एवं हीटर की आवश्यकता होती है । इससे डिवाइस की बिजली खपत बढ़ जाती है और लंबा इंतजार करना पड़ता है। विकसित सेंसर कमरे के तापमान पर काम करता है और प्लग एंड प्ले की तरह है। इस उपकरण के पीछे की तकनीक कमरे के तापमान पर संचालित हेटरोस्ट्रक्चर (heterostructure) (नैनो सिलिकॉन के साथ धातु ऑक्साइड - metal oxide with nano silicon) के साथ एक इलेक्ट्रॉनिक नाक (Human Nose Sensor) है। सेंसर नमूने अल्कोहल के साथ प्रतिक्रिया करते हैं और प्रतिरोध में बदलाव दर्शाते हैं । यह परिवर्तन नमूने में अल्कोहल की सांद्रता के समानुपाती होता है। इसके अलावा, इस सेंसर सारणी से एकत्र किए गए आंकड़ों / डेटा को
सांस के विभिन्न घटकों के पैटर्न की पहचान करने और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों के मिश्रण से अल्कोहल को अलग करने के लिए मशीन लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग करके संसाधित (processed) किया जाता है ।