Press Trust of India | September 28, 2025 | 08:58 PM IST | 2 mins read
मंत्री ने बताया कि स्कूली और उच्च शिक्षा के लिए आयुर्वेद मॉड्यूल विकसित करने हेतु एनसीईआरटी और यूजीसी के साथ चर्चा चल रही है।
नई दिल्ली: आयुष मंत्री प्रतापराव जाधव ने कहा कि सरकार का लक्ष्य आयुर्वेद को स्कूलों और कॉलेजों के स्वास्थ्य शिक्षा पाठ्यक्रम में शामिल करना है। जाधव ने कहा कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) साथ मिलकर स्कूली शिक्षा एवं उच्चतर शिक्षा के लिए पाठ्यक्रम मॉड्यूल तैयार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि गोवा, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश जैसे कुछ राज्यों ने स्कूली शिक्षा में भारतीय ज्ञान प्रणाली को पहले ही शामिल कर लिया है।
मंत्री ने बताया कि स्कूली और उच्च शिक्षा के लिए आयुर्वेद मॉड्यूल विकसित करने हेतु एनसीईआरटी और यूजीसी के साथ चर्चा चल रही है। उन्होंने आगे कहा कि आयुष मंत्रालय साक्ष्य-आधारित अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
सीसीआरएएस और अन्य संस्थानों के माध्यम से उच्च-गुणवत्ता वाले परीक्षण किए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त, आयुर्वेदिक उपचारों की वैज्ञानिक विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से मानक स्थापित किए जा रहे हैं।
आयुष मंत्री प्रतापराव जाधव ने कहा कि एलोपैथी और आयुष प्रणालियां एक-दूसरे की पूरक हैं, प्रतिस्पर्धा नहीं। सरकार का लक्ष्य दोनों को एकीकृत करके एक एकीकृत स्वास्थ्य मॉडल तैयार करना है।
राष्ट्रीय आयुष मिशन की सरकारी नीति के तहत ग्रामीण एवं दूरस्थ क्षेत्रों के स्वास्थ्य केन्द्रों पर आयुष चिकित्सकों की तैनाती की जा रही है, ताकि लोगों को सहज एवं सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें।
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आयुष मंत्री ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में मंत्रालय ने भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को नए सिरे से परिभाषित किया है। उन्होंने बताया कि आयुष पद्धतियों को वैज्ञानिक आधार प्रदान किया गया है और घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाया गया है।
उन्होंने कहा कि मंत्रालय अनुसंधान, मानकीकरण और शिक्षा को बढ़ावा देकर हर चिकित्सा पद्धति को समान अवसर प्रदान कर रहा है। राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत, देश भर में आयुष स्वास्थ्य केंद्र और औषधीय उद्यान स्थापित किए जा रहे हैं।