GIM Research: कुछ लोगों में क्यों आसानी से विकसित हो जाती हैं पर्यावरण-अनुकूल आदतें? बिजनेस स्कूल ने किया शोध

Press Trust of India | September 7, 2025 | 06:35 PM IST | 2 mins read

Goa Institute of Management: प्रोफेसर सुमित त्रिपाठी ने बताया कि शोधकर्ताओं ने पाया कि आय, शिक्षा और पर्यावरण जागरूकता कार्बन फुटप्रिंट जागरूकता के सबसे महत्वपूर्ण भविष्यवक्ता हैं।

जीआईएम के इस शोध को ‘जर्नल ऑफ रिटेलिंग एंड कंज्यूमर सर्विसेज’ में प्रकाशित किया गया है। (स्त्रोत-आधिकारिक एक्स/GIM)
जीआईएम के इस शोध को ‘जर्नल ऑफ रिटेलिंग एंड कंज्यूमर सर्विसेज’ में प्रकाशित किया गया है। (स्त्रोत-आधिकारिक एक्स/GIM)

पणजी: कुछ लोग पर्यावरण के अनुकूल आदतें आसानी से क्यों विकसित कर लेते हैं, जबकि अन्य लोग टिकाऊ विकल्प चुनने के लिए संघर्ष करते नजर आते हैं? गोवा इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (GIM) के शोधकर्ताओं की एक टीम ने आय, शिक्षा और उम्र के प्रभाव का अध्ययन करके इस बात का पता लगाने की कोशिश की है।

‘जर्नल ऑफ रिटेलिंग एंड कंज्यूमर सर्विसेज’ में प्रकाशित इस शोध में उन कारकों पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जो भारत में खुदरा और सेवा उद्योगों, दोनों में स्थायी खरीदारी व्यवहार के प्रति व्यक्ति के रुझान को आकार देते हैं।

जीआईएम के एसोसिएट प्रोफेसर सुमित त्रिपाठी के अनुसार, शोधकर्ताओं ने व्यापक विश्लेषण और व्यक्तिगत व्यवहार पैटर्न का सटीक आकलन करने के लिए दोहरे मॉडल वाली मशीन लर्निंग पद्धतियों का इस्तेमाल किया। निष्कर्षों को स्पष्ट रूप से रेखांकित करने के लिए, शोधकर्ताओं ने एक स्पष्टीकरण मॉडल, ‘शैपली एडिटिव एक्सप्लेनेशन’ का उपयोग किया।

प्रोफेसर सुमित त्रिपाठी ने बताया कि शोधकर्ताओं ने पाया कि आय, शिक्षा और पर्यावरण जागरूकता कार्बन फुटप्रिंट जागरूकता के सबसे महत्वपूर्ण भविष्यवक्ता हैं।

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त्रिपाठी ने बताया, ‘‘उच्च आय वाले लोगों के पास अधिक टिकाऊ उत्पादों तक पहुंच होती है, जिससे पर्यावरण के प्रति अधिक चिंता पैदा होती है। व्यवहार परिवर्तन के लिए एक प्रेरक कारक के रूप में शिक्षा निम्न-आय वाले व्यक्तियों के लिए एक मजबूत भूमिका निभाती है, जहां ज्ञान में मामूली वृद्धि भी व्यवहार में उल्लेखनीय परिवर्तन लाती है।’’

शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि पर्यावरण के प्रति जागरूक कंपनियों के लिए ब्रांड निष्ठा और उत्पाद समीक्षा लेखन में भागीदारी, स्थायी निर्णय लेने को बढ़ावा देती है। अध्ययन में उम्र के रुझान दिखाए गए, जिससे पता चला कि वृद्ध, कम शिक्षित, कम आय वाले व्यक्तियों में युवा, शिक्षित व्यक्तियों की तुलना में जागरूकता कम होती है।

गोवा इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर सुमित त्रिपाठी ने कहा कि ब्रांड (कंपनी) द्वारा विभिन्न उपभोक्ता वर्गों के लिए स्थायित्व विपणन को अधिक लक्षित बनाया जा सकता है

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