Press Trust of India | December 11, 2025 | 06:12 PM IST | 2 mins read
वित्तीय सेवाएं विभाग ने कहा कि वर्तमान में सभी श्रेणियों के बैंकों में भर्ती आईबीपीएस (इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सानेल सेलेक्शन) के माध्यम से की जाती है।

नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने 11 दिसंबर को कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में भर्ती के लिए होने वाली परीक्षाओं और उनके परिणाम घोषित करने की प्रक्रिया को अधिक सुव्यवस्थित और पारदर्शी बनाने के लिए व्यापक सुधारात्मक कदम उठाए गए हैं। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि ये सुधार भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), राष्ट्रीयकृत बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) की भर्ती प्रक्रिया पर समान रूप से लागू होंगे।
वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवाएं विभाग (डीएफएस) ने कहा कि वर्तमान में इन सभी श्रेणियों के बैंकों में भर्ती आईबीपीएस (इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सानेल सेलेक्शन) के माध्यम से की जाती है। सामान्यतः आरआरबी की परीक्षाएं पहले आयोजित होती हैं और राष्ट्रीयकृत बैंकों एवं एसबीआई की परीक्षाएं उसके बाद होती हैं। परिणाम भी इसी क्रम में घोषित किए जाते हैं।
बयान के मुताबिक, हाल के वर्षों में यह प्रवृत्ति सामने आई है कि आरआरबी में चयनित कई उम्मीदवार राष्ट्रीयकृत बैंकों और वहां से एसबीआई में चले जाते हैं। इससे संबंधित बैंकों में नौकरी छोड़ने का उच्च स्तर देखने को मिलता है और कामकाज के संचालन में दिक्कतें पैदा होती हैं। डीएफएस ने इस स्थिति का संज्ञान लेते हुए बैंकों की भर्ती प्रक्रिया और परिणाम घोषित करने के मौजूदा चलन की समीक्षा की।
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भारतीय बैंक संघ (आईबीए) को सलाह दी गई कि सभी श्रेणी के बैंकों में भर्ती परीक्षाओं के नतीजों की घोषणा एकसमान और तार्किक क्रम में की जाए, ताकि उम्मीदवारों की प्राथमिकता स्पष्ट हो सके और बैंकों की मानव संसाधन योजना अधिक प्रभावी बन सके। नए ढांचे के तहत अब सबसे पहले एसबीआई की भर्ती परीक्षाओं के परिणाम जारी किए जाएंगे।
इसके बाद राष्ट्रीयकृत बैंकों और अंत में आरआरबी के परिणाम घोषित होंगे। इस दौरान अधिकारी स्तर की परीक्षाओं के परिणाम पहले जारी होंगे और क्लर्क स्तर की परीक्षाओं के परिणाम उसके बाद इसी क्रम में जारी होंगे।
वित्त मंत्रालय ने कहा कि यह भर्ती प्रणाली उम्मीदवारों को समय पर निर्णय लेने में मदद करेगी, भर्ती प्रक्रिया में स्थिरता लाएगी और बैंकिंग कर्मचारियों के नौकरी छोड़ने की समस्या को काफी हद तक कम करेगी। नई व्यवस्था से मानव संसाधन योजना में सुधार होने और कार्यबल की निरंतरता सुनिश्चित होने की उम्मीद है।