Press Trust of India | May 2, 2025 | 07:33 AM IST | 1 min read
अधिकारी अदालत के 14 नवंबर, 2024 के आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं, जिसमें उन्हें ऐसे मामलों के लिए एसओपी तैयार करने के लिए कहा गया था।
नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्कूलों में बम की धमकी जैसी आकस्मिक स्थितियों से निपटने के लिए एक व्यापक तंत्र तैयार करने में विफलता का आरोप लगाने वाली एक याचिका पर बृहस्पतिवार को सरकार के मुख्य सचिव और राष्ट्रीय राजधानी की पुलिस को नोटिस जारी किया।
न्यायमूर्ति अनीश दयाल ने इसे एक गंभीर मामला बताया और कहा कि प्राधिकारियों को इस ओर ध्यान देना चाहिए, विशेषकर इसलिए क्योंकि फर्जी कॉल आम हो गए हैं और इससे बच्चों, अभिभावकों तथा स्कूलों को असुविधा हो रही है।
न्यायमूर्ति दयाल के दायर याचिका में कहा गया कि अधिकारी अदालत के 14 नवंबर, 2024 के आदेश का पालन नहीं कर रहे हैं, जिसमें उन्हें ऐसे मामलों से निपटने के लिए एसओपी और कार्य योजना तैयार करने के लिए कहा गया था।
कोर्ट ने निर्देश दिया था कि सरकारी एजेंसियां और पुलिस 8 सप्ताह के भीतर जरूरी इंतजाम करें। अदालत ने बृहस्पतिवार को मामले पर अद्यतन जानकारी मांगी और अगली सुनवाई की तारीख 19 मई तय की।
कोर्ट ने सरकार और पुलिस अधिकारियों को पेश होने को कहा। वकील अर्पित भार्गव ने आरोप लगाया कि दिल्ली के स्कूलों को बार-बार बम की धमकी वाले ईमेल मिल रहे हैं, लेकिन सरकार और पुलिस ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।
उन्होंने दावा किया कि आठ सप्ताह की अवधि 14 जनवरी, 2025 को समाप्त हो गई, लेकिन अदालत के आदेश के अनुसार किसी भी विस्तृत कार्य योजना या एसओपी के निर्माण या कार्यान्वयन के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई।
एनएचआरसी ने कहा कि उसने "मीडिया रिपोर्टों का स्वत: संज्ञान लिया है कि 24 अप्रैल को बिहार के पटना के मोकामा क्षेत्र में एक सरकारी स्कूल में मध्याह्न भोजन खाने के बाद 100 से अधिक बच्चे बीमार हो गए।"
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