Press Trust of India | July 29, 2025 | 10:23 PM IST | 1 min read
कोर्ट ने कहा, "यदि ऐसी कोई समिति पहले से मौजूद नहीं है, तो एनटीए को एक स्थायी शिकायत निवारण समिति गठित करने का निर्देश दिया जाता है।"
नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने एनटीए को उन अभ्यर्थियों के लिए एक स्थायी शिकायत निवारण समिति बनाने का निर्देश दिया है, जो नीट परीक्षा के दौरान तकनीकी समस्याओं के कारण बिना किसी गलती के समय गंवाते हैं। उच्च न्यायालय ने कहा है कि संवैधानिक अदालतों से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वे हर उस अभ्यर्थी के सीसीटीवी फुटेज देखें, जिसने बिना किसी गलती के परीक्षा का समय गंवाया है।
न्यायमूर्ति विकास महाजन ने कहा कि ऐसे मामलों की जांच पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से विशेषज्ञों के एक समूह द्वारा की जानी चाहिए। न्यायमूर्ति महाजन ने स्थायी समिति को जांच के लिए अधिक उपयुक्त फार्मूला तैयार करने की छूट दी।
उच्च न्यायालय ने 28 जुलाई को अपने आदेश में कहा, ‘‘यह देखा जा सकता है कि इस अदालत में कुछ ऐसे व्यक्तिगत मामले आए हैं जहां परीक्षार्थियों को उनकी वजह से नहीं, बल्कि अन्य कारणों से परीक्षा में समय का नुकसान हुआ...।’’
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उच्च न्यायालय ने कहा, "यदि ऐसी कोई समिति पहले से मौजूद नहीं है, तो एनटीए को एक स्थायी शिकायत निवारण समिति गठित करने का निर्देश दिया जाता है, जहां पीड़ित छात्र अपनी शिकायतों के निवारण के लिए संपर्क कर सकें।"
कोर्ट का यह निर्देश नीट यूजी 2025 से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई करते हुए आया, जिसमें एक परीक्षार्थी ने परीक्षा केंद्र पर बायोमेट्रिक सत्यापन में अनियमितताओं के कारण समय की हानि और क्षतिपूर्ति अंक की मांग की थी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, अभ्यर्थी ने 4 मई को उत्तर प्रदेश के मेरठ स्थित त्रिशला देवी कनोहर लाल गर्ल्स इंटर कॉलेज में एनटीए द्वारा आयोजित राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) (स्नातक) 2025 की परीक्षा दी थी।