UPPSC CSES Mains Exam 2025: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीएसईएस मुख्य परीक्षा तय तिथि पर कराने का दिया निर्देश
Press Trust of India | September 27, 2025 | 10:25 AM IST | 2 mins read
अदालत ने स्पष्ट किया कि परीक्षा तय कार्यक्रम के मुताबिक कराई जाएगी, लेकिन इसके परिणाम, विशेष अपील पर निर्णय आने के बाद जारी किए जाएंगे।
प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) को संयुक्त राज्य इंजीनियरिंग सेवा (सीएसईएस) की मुख्य परीक्षा तय कार्यक्रम के तहत कराने का निर्देश दिया है। यह परीक्षा 28 और 29 सितंबर को प्रस्तावित है। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह परीक्षा तय कार्यक्रम के मुताबिक कराई जाएगी, लेकिन इसके परिणाम, विशेष अपील पर निर्णय आने के बाद जारी किए जाएंगे। न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी और न्यायमूर्ति एके गुप्ता की खंडपीठ ने उप्र लोक सेवा आयोग द्वारा दायर एक विशेष अपील पर यह आदेश पारित किया।
खंडपीठ ने कहा, “करीब 50 याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर याचिकाएं एकल न्यायाधीश द्वारा स्वीकार कर ली गई हैं और 25 सितंबर को पारित निर्णय में आयोग को नए सिरे से सूची बनाने का निर्देश दिया गया है।”
अदालत ने कहा कि परीक्षा 28 सितंबर को होनी है और इसमें 7,000 से ज़्यादा उम्मीदवारों के शामिल होने की उम्मीद है। इसलिए, आखिरी समय में परीक्षा रोकना अराजकता पैदा करेगा और उम्मीदवारों के साथ अन्याय होगा।
प्री रिजल्ट संशोधित करने का निर्देश पारित
अदालत ने कहा, “इसका परिणाम, विशेष अपील के अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगा।” इससे पूर्व, एकल पीठ ने आयोग को 2024 के प्री रिजल्ट संशोधित करने का निर्देश पारित किया। पीठ ने कहा था कि स्थानांतरण का सिद्धांत प्रारंभिक चरण में भी लागू होता है।
इस साल की शुरुआत में 609 पदों के लिए आयोजित प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम 26 मई, 2025 को घोषित किए गए जिसमें केवल 7,358 अभ्यर्थी मुख्य परीक्षा के लिए छांटे गए, जबकि विज्ञापन के उपबंध 11(8) के तहत रिक्त पदों के 15 गुना यानी 9,135 अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा के लिए पात्र घोषित किया जाना चाहिए था।
आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों ने एकल न्यायाधीश के समक्ष दलील दी कि परिणाम घोषित करने की आयोग की पद्धति में ओबीसी, एसटी, एसटी के कई ऐसे मेधावी उम्मीदवारों को बाहर कर दिया गया जिन्होंने अंतिम अनारक्षित उम्मीदवारों से अधिक अंक हासिल किए, लेकिन सूची में उन्हें नहीं गिना गया।
जनरल श्रेणी अपने आप में “आरक्षित कोटा” नहीं
इसके अलावा, उन्होंने यह दलील भी दी कि अनारक्षित वर्ग अपने आप में “आरक्षित कोटा” नहीं है और इसे सभी उम्मीदवारों के लिए खुला रखना चाहिए। स्थानांतरण को केवल अंतिम चयन के चरण तक सीमित रखकर आयोग ने इस भर्ती प्रक्रिया की शुरुआत में ही समान अवसर देने से इनकार कर दिया।
एकल न्यायाधीश ने संबंधित पक्षों को सुनने के बाद आयोग को प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम नए सिरे से तैयार करने और आरक्षित वर्ग के ऐसे उम्मीदवारों को जिन्होंने अनारक्षित कट-ऑफ के समान या इससे अधिक अंक प्राप्त किए हैं, सूची में शामिल करने का निर्देश दिया था। इस आदेश को एक विशेष अपील दाखिल कर इस खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी गई थी।
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