Press Trust of India | November 2, 2025 | 11:20 AM IST | 1 min read
न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरि बांदा जिले के पैलानी में स्थित एक विद्यालय की अध्यापिका इंद्रा देवी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहे थे।

प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि राज्य सरकार को उन विद्यालयों में अध्यापकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए ठोस समाधान लाना आवश्यक है, जहां गरीब ग्रामीणों के बच्चे पढ़ते हैं। अदालत ने राज्य सरकार को उन उपायों से अवगत कराने को कहा जो अन्य संस्थानों और विभागों में चल रहे हैं, जिससे विद्यालयों में अध्यापकों की उपस्थिति सुनिश्चित की जा सके।
न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरि बांदा जिले के पैलानी में स्थित एक विद्यालय की अध्यापिका इंद्रा देवी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। बांदा के जिला मजिस्ट्रेट द्वारा औचक निरीक्षण के दौरान स्कूल में कथित तौर पर इंद्रा देवी के अनुपस्थित पाए जाने के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था।
अदालत ने कहा कि देश की आजादी के बाद से एक प्रभावी उपस्थिति प्रणाली के नहीं होने से गरीब बच्चों की शिक्षा का संवैधानिक अधिकार बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। इससे पूर्व, 16 अक्टूबर को अदालत ने राज्य के अधिकारियो को शैक्षणिक संस्थानों में उपस्थिति की निगरानी के लिए जमीनी स्तर पर एक “व्यवहारिक” नीति बनाने का निर्देश दिया था।
सुनवाई के दौरान, राज्य सरकार के स्थायी अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि पूर्व के निर्देश के अनुपालन में प्रदेश के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक बैठक हुई है। अदालत ने 30 अक्टूबर को दिए अपने आदेश में कहा, “टेक्नोलॉजी के युग में अध्यापकों की उपस्थिति डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से निर्धारित समय पर दर्ज की जानी चाहिए।”
अदालत ने कहा कि मामूली देरी के लिए थोड़ी नरमी दिखाई जा सकती है, लेकिन आदतन अनुपस्थित रहने वाले अध्यापकों को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। अदालत ने इस मामले में अगली सुनवाई की तिथि 10 नवंबर, 2025 तय की।