Press Trust of India | October 7, 2025 | 07:48 PM IST | 2 mins read
अर्न्स्ट एंड यंग-पार्थेनन द्वारा फिक्की के सहयोग से जारी रिपोर्ट का शीर्षक “भविष्य के लिए तैयार परिसर: उच्च शिक्षा में एआई की शक्ति का उपयोग” है।
नई दिल्ली: भारत में 50 प्रतिशत से अधिक उच्च शिक्षण संस्थान (HEIs) शिक्षण सामग्री विकसित करने के लिए जेनरेटिव एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) का उपयोग कर रहे हैं, जबकि 60% संस्थान छात्रों को एआई उपकरणों के उपयोग की अनुमति दे रहे हैं। यह जानकारी 30 अग्रणी एचईआई के सर्वेक्षण पर आधारित एक नई रिपोर्ट से मिली है।
अर्न्स्ट एंड यंग-पार्थेनन द्वारा फिक्की के सहयोग से जारी रिपोर्ट का शीर्षक “भविष्य के लिए तैयार परिसर: उच्च शिक्षा में एआई की शक्ति का उपयोग” है। इसमें पाया गया कि 56% से अधिक भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों ने पहले ही एआई से संबंधित नीतियों को लागू कर दिया है, जिनमें से 40 प्रतिशत ने एआई-संचालित शिक्षण प्रणाली और चैटबॉट तैनात किए हैं।
यह रिपोर्ट देशभर में स्थित 30 प्रमुख उच्च शिक्षा संस्थानों के सर्वेक्षण पर आधारित है। इस सर्वेक्षण में मुख्य शैक्षणिक और परिचालन कार्यों में एआई को अपनाने की प्रक्रिया का अध्ययन किया गया है। इसमें उपयोग के स्वरूप, प्रबंधन की तैयारी, पाठ्यक्रम नवाचार और संकाय विकास का अध्ययन शामिल था। यह रिपोर्ट एक निदानात्मक परिपक्वता मॉडल और कृत्रिम बुद्धिमत्ता को व्यापक स्तर पर अपनाने में तेजी लाने के लिए क्रियान्वयन योग्य रूपरेखा प्रस्तुत करता है।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘आधे से अधिक उच्च शिक्षा संस्थान (53 प्रतिशत) शिक्षण सामग्री विकसित करने के लिए जनरेटिव एआई का उपयोग कर रहे हैं, जबकि 40% एआई-संचालित शिक्षण प्रणाली और चैटबॉट का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके अलावा 39 प्रतिशत ने अनुकूली शिक्षण मंच पेश किए हैं और 38 प्रतिशत स्वचालित ग्रेडिंग के लिए एआई का लाभ उठा रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘कम से कम 60 प्रतिशत उच्च शिक्षा संस्थान एआई उपकरणों के उपयोग की अनुमति दे रहे हैं। ये निष्कर्ष इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि किस प्रकार एआई पहले से ही पाठ्यक्रम डिजाइन, मूल्यांकन मॉडल और कक्षा संलग्नता रणनीतियों को प्रभावित कर रहा है।’’
ईवाई-पार्थेनॉन इंडिया की साझेदार एवं शिक्षा क्षेत्र प्रमुख अवंतिका तोमर ने कहा, ‘‘एआई की पूरी क्षमता का इस्तेमाल करने के लिए, भारत को प्रयोग से आगे बढ़कर विस्तार करना होगा। ऐसा शिक्षण और परिसर संचालन में एआई उपकरणों को एकीकृत करके, सभी विषयों में एआई साक्षरता को शामिल करके, मजबूत डिजिटल बुनियादी ढांचे में निवेश करके और संकाय क्षमता और शासन ढांचे को मजबूत करके किया जा सकता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ये कदम भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली को दुनिया भर में एआई-सक्षम ज्ञान और नवाचार के मामले में अग्रणी बनाने में मदद करेंगे।’’