Press Trust of India | July 20, 2024 | 10:35 PM IST | 1 min read
मेडिकल शिक्षकों की मांग है कि सोसायटी द्वारा राजस्थान सिविल सेवा (संशोधित वेतन) नियम अपनाए जाएं, क्योंकि सोसायटी के नियमों में कई विसंगतियां हैं।
जयपुर: राजस्थान के 17 सरकारी मेडिकल कॉलेजों के करीब 700 शिक्षकों ने 22 जुलाई से सामूहिक अवकाश पर जाने की घोषणा की है। इन शिक्षकों का आरोप है कि राज्य सरकार ने अगस्त 2024 से पहले नियुक्त शिक्षकों को राजस्थान सेवा नियमों के दायरे में नहीं लाया है।
गौरतलब है कि सरकारी मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों की नियुक्ति राज्य सरकार की स्वायत्त संस्था राजस्थान मेडिकल एजुकेशन सोसायटी (राजएमईएस) करती है और सोसायटी के सेवा नियम उन पर लागू होते हैं। मेडिकल शिक्षकों की मांग है कि सोसायटी द्वारा राजस्थान सिविल सेवा (संशोधित वेतन) नियम अपनाए जाएं, क्योंकि सोसायटी के नियमों में कई विसंगतियां हैं।
राजमेस आरएमसीटीए वेलफेयर सोसाइटी के उपाध्यक्ष डॉ राजेंद्र यादव ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि सरकार ने हाल ही में राज्य बजट में घोषणा की थी कि राजमेस में राजस्थान सिविल सेवा नियम अपनाए जाएंगे, जिसका शिक्षक संघ ने स्वागत किया था, लेकिन बाद में एसोसिएशन को पता चला कि यह 1 अगस्त 2024 या उसके बाद नियुक्त शिक्षकों पर लागू होगा।
उन्होंने कहा, 'हमारे संज्ञान में आया है कि वित्त विभाग ने निर्णय लिया है कि राजमेस में 1 अगस्त, 2024 से पहले नियुक्त चिकित्सा शिक्षक 'डाइंग कैडर' होंगे और उन पर सोसायटी के मौजूदा नियम लागू होंगे, जबकि 1 अगस्त, 2024 या उसके बाद नियुक्त शिक्षकों पर राजस्थान सिविल सेवा (संशोधित वेतन) नियम-2017 लागू होंगे। इससे चिकित्सा शिक्षकों के बीच भारी वेतन असमानता पैदा होगी।'